Wednesday, May 30, 2018

जपो जपो

प्रातःकालीन प्रणाम.
इनिय कालै  वणक्कम.
 हमारे मन में चाहिए  संयम.
इच्छा शक्ति चाहिए.
ईश्वर भक्ति चाहिए.
ज्ञान  शक्ति चाहिए
क्रिया शक्ति चाहिए.
तीनों  शक्तियाँ प्रदान करने
ईश्वरीय अनुग्रह चाहिए.
तब तो  हमें क्या करना चाहिए
ईश्वर  पर भरोसा चाहिए.
मंत्र तंत्र नहीं जानते,
ऐसा  सोच नहीं चाहिए.
 केवल सदाचार संयम  का बल,
ईश्वर के नाम जपना
मनोकामनाएँ पूरी होने का सरल मार्ग.
बोलो भजो जपो ध्यान में लगो.
 ऊँ गणेशाय नमः|
 ऊँ कार्तिकेयाय नमः
 ऊँ नमः शिवाय
ओम दुर्गायै नमः.
जपो जपो हमेशा,
मन लगाओ,
काम में लगो
सत्य कर्तव्य पालन, सदाचार
नाम जपो
 पाओ,
वाँछित फल.
तजो लौकिक इच्छाएँ.
अलौकिक  चाहें में  मन लगा.
सपरिवार  जिओ.
विषय वासना से दूर रहो .
जपो जपो जपो
,ऊँ गणेशाय नमः
ऊँ कार्तिकेयाय नमः
ऊँ नमः शिवाय
ओम दुर्गायै नमः

Monday, May 28, 2018

இறைய ரு ள்भगवान का अनुग्रह
இரு ந் தா ல்  साथ रहे
रहें तो
இன்ன லு ம்  दुख भी
இன்பம்  ஆகு ம். सुख होगा.
எண்ணங்கள்   सोच विचार  
ஏற்ற மா கு ம். उच्चतम होंगे.
எண்ணி ய வை  जो सोचते हैं
எளிதில் சா த்தி ய மா கு ம். वे साध्य होंगे.
 ஐயம் சி றி து ம்  இல்லை.  तनिक भी नहीं संदेह.
ஆண்டவனைத் து தி த் தா ல்  भगवान की स्तुति में
ஆனந்தம் ஆனந்த மே.
आनंद ही आनंद.

Friday, May 25, 2018

मित्र

मित्रों को नमस्कार.
स्वस्थ  तन, मन, धन से
अनंत काल ईश्वर की कृपानुग्रह
प्राप्त होने मेरी प्रार्थनाएँ.
जय हिंदी!  जय हिंद!
जग पहचानना,
जग व्यवहार  पहचानना
 नेक मित्र, ईमानदार  मित्र
सहन शील मित्र,
सदा साथ देनेवाले मित्र,
संकट दूरकरनेवाले मित्र,
सद्यः  सहायक मित्र,
बुद्धि  भ्रष्ट  से बचाने वाले मित्र
 रक्षक-भक्षक मित्र
परखो, जानो,  सिवा
भगवान के कोई नहीं  अगजग में

अर्थ ही जीवन

कहना अति सरल, करना अति कठिन.
 अर्थ बगैर सार्थक कुछ नहीं,
अर्थ प्रधान संसार.
 समर्थन  करते  अर्थ सहित जीवन को,
अर्थ बल से हत्यारा  भी  छूट जाता,
अर्थ बल से भ्रष्टाचारी बन जाते सांसद वैधानिक.
कामार्थ,इष्टार्थ सब के सब के
आधार काल नहीं अर्थ जान.

Thursday, May 24, 2018

हम ने देकर लिये है,

लेकर देकर जीते  हैं हम.
लेकर देकर पाते हैं हम
अधिकार.
अधिकार पाकर हम,
दिये धन से सौ गुणा लाभ
अपने  देकर मिले पद,
शासन करते हैं हम,
अपने मुनाफा के लिए
धन्यवाद  समर्पण  हो गया,
आगे पाँच साल कमा ही लेंगे सौ  गुणा.
भुलक्कड़   जनता के सामने
वही वचन  देंगे,
वही वजन रखेंगे.
सरलतम तरीका हमारा
जीतेंगे,धन्यवाद समर्पण  करेंगे.
हमारे स्वयं अपने लिए जीते हैं.
भोला भाला जनता धन्य है.
न जाने  हमारे रहते,
कैसे   होती है देश की तरक्की.
इसी अचंभा मेंं और भी हैं
लूटने हैं  मन मना.

Wednesday, May 23, 2018

भक्ति भाव भूमि


आज के विचार.

भारत में   मजहब नहीं,
धर्म है. मजहबी  स्वार्थ  होते हैं.
स्वार्थता दूर होने
 मजहब  का पैगाम या संदेश
ईश्वर से मिलते हैं.
पर  जिस महान के द्वारा
जग में शांति ,प्रेम,
 इनसानियत  की
स्थापना  हुई,
 उनके स्वर्ग वास या जीवन  मुक्ति  के होते ही
उनके  चेले  नये सुधार  लाना चाहते हैं,
मूल  गुरु  के उपदेश से कुछ लोग
 जरा भी परिवर्तन  लाना  नहीं चाहते.
जो परिवर्तन लाना चाहते हैं,
वे नया संप्रदाय
 नया मार्ग या नयी शाखा
बनाने में सफल हो जाते हैं.
हिंदु धर्म एक सागर है.
इसमें अघोरी को देखते हैं.
सिद्ध  पुरुषों  के देखते हैं,
आचार्यों के देखते हैं,
नाना प्रकार के संप्रदाय  देखते हैं.
 भोगी धनी आश्रमों को देखते  हैं,
पागल सा फुटपाथ  पर
भटकनेवाले
 ईश्वर तुल्य भविष्यवाणी
 बतानेवाले
दैविक पुरुष देखते हैं,
लोगों में फूट पैदा करनेवाले
विरोध  भाव उत्पन्न करनेवाले,
शैव- वैष्णव संप्रदाय  देखते हैं.
 अंध विश्वासों को दूरकर
मानव मानव में एकता, प्रेम, परोपकार,
सहानुभूति  ,हमदर्दी आदि शाश्वत भाव
की ओर चलनेवाला कबीर जैसे
वाणी का डिक्टेटर देखते हैं.
मनको कलुषित रखने से
 आदर्श  सेवा या
ईश्वरत्व  नहीं के बराबर  का
भाव  ही होगा.
 भगवान विराट रुपी,
 जन्म मरण
 ही सत्य हैं
पाप कर्म का दंड,
पुण्य कर्म का पुरस्कार.
पर जग में किसी को शांति नहीं,
आत्म संतोष  नहीं
बडे बडे  राजा- महाराजाभी दुखी,
गरीब भी दुखी,
 अधिकारी भी दुखी.
राम कहानी  सुनाना तो
 केवल दुख का वृत्तांत सुनाना है.
महाभारत  तो बदला लेने के लिए ,
 दुखांत ही है.
  कबीर की वाणी स्मरणीय  है.
मिथ्या संसार में  सुख ही सुख का भोगी
कोई भी नहीं है.
हमें जितना सुख मिला ,
वह हमारे सद्करम का फल है.
जितना दुख मिला, हमारे दुष्कर्म  का फल है.
 ईश्वरावतार राम, कृष्ण सभी दुखी ही रहे.
 मुहम्मद नबी को पत्थर का चोट लगी तो
ईसामसीह  को रक्त बहाना पडा.
 हिंदू भाव भूमि सगुण निर्गुण  को मानता है.
अहम् ब्रह्मास्मि  खुद को
 भगवान मान कर चलने का
अद्वैत सिद्धांत.
हर आदमी ईश्वर है.
वही स्पष्ट है.
 पर मृत्यु उसके हाथ  में नहीं.
तब मनुष्य अपने से परे,
दूसरी शक्ति वही ईश्वर मानता है.
द्वैत भावना जगती है.
मनुष्य मनुष्य में  जाति संप्रदायों से दूर

मानव सेवा अपनाने विशिष्टाद्वैत  .
 इन सब में गोता लगाकर,
 खोदकर तराशकर
मोती, हीरा लाना
मानव धर्म है.
*














Tuesday, May 22, 2018

துர் கா. दुर्गा

दुर्गा  दुष्ट संहारिणी , து ர்  கா  து ஷ்ண ஸம் ஹா ரி  ணி.
इष्ट वर दायिनी   இஷ்ட வர தா யி னி

ईश्वरी अखिललोक रक्षकी,
ஈஸ்வரி  அகில லோக  ரக்ஷகி
अखिलांडेश्वरी,   அ கி லா ண் டே ஷ்வரி

अगजग  संताप निवारिणी  அகில ஸத் தா ன் நிவா ரி ணி
सिंहवाहिनी,  சி ம்ம வா ஹி னி

शीघ्र असुर संहारिणी.  சீ க் கி ர அ சு ர ஸம் ஹா ரி ணி

महिषासरवर्द्धिनी,  மகி ஷா சு ர மர்த் திணி
महेश्वर पत्नी.  மஹே ஷ் வர பத் னி
भक्ताकर्षिणी.  க்க தா க ர் ஷனி
लोकनायकी, லோ க நா யகி.