Wednesday, January 23, 2019

खलनायक न हो तो... (मु )

खलनायक   न हो तो...
हमारा जन्म  केवल धन कमाने,
जमा करने, मर जाने के उद्देश्य  से नहीं हुआ,
कुछ राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय  विस्तृत काम के लिए  हुआ है.
 हम अपने नाते रिश्ते परिवार के लिए  ही जीना चाहते हैं.
परिवार  के लिए  जीना चाहते हैं.
कुछ लूटने के लिए  जीना चाहते  हैं.

 हमारा दिल संकीर्ण  हो जाता है.
   दुनिया की गतिविधियों  के देखने पर मुझे
 संसार में रहकर दूर एकांत में रहना अच्छा  लगता है.
 ईमानदारी  100प्रतिशत
ईमानदारी  केवल हरिश्चंद्र की

कहानी में हैं.
 रामावतार में नहीं, 
कृष्णावतार में नहीं,
कुरूक्षेत्र युद्ध धर्म युद्ध कहना
उचित है ही नहीं.

क्यों?   रामायण  की कहानी कैसी है?
 राम का व्यक्तिगत जीवन  में अशांति  के काले बादल.
कृष्ण को अपने प्राण बचाने की चिंता.
कुरु क्षेत्र  युद्ध  कर्ण   को कुंती
 प्रथम मिलन में ही

अपना परिचय  कर्ण को देती तो
महाभारत  कथा है ही नहीं  .
लडकियों को उठा  लाना  लाकर   शादी,

अवैध  संबंध,
बच्चे फेंकना,
नवजात शिशु  के साथ

निर्दय व्यवहार, 
कबीर तालाब के किनारे तो सीता भूमि के अंदर,
तुलसी की अशुभ नक्षत्र,
सीता का त्याग,
रावण का सीता मोह
संसार में खलनायकों का प्रभाव.

हिरण्य कश्यप का 
अपने पुत्र के साथ की गई क्रूरता..

खलनायक न तो संसार नहीं.
 आज मन में कई बातें.
..मुझे संसार  से बहुत दूर एकांत ही ओर ले जा रही है.

समाज के व्यवहार  देखना ही नाटक है.
चित्रपट  है.

अंत में यही निष्कर्ष 
सबहीं नचावत राम गोसाई.

तूफान (मु )

तूफान (मु )
तूफान केवल तेज वायु,
अति वर्षा  ही नहीं,बल्कि
विचारों की क्रांति भी
तूफान है,
हमारे मत,
हमारे कारण पद
हमारो कारण कर,
हमारे प्रतिनिधि  सांसद
हमारे प्रतिनिधि  वैधानिक
जब वादा पूरा नहीं करते,
पिछले चुनाव की वचन न पालन करते
वही वादा  फिर करते हैं नयी सी
उनके वाग्जाल  में न फँसना, फँसाना की क्रांति भी तूफान.
भारतीय  जब चुनाव के बाह्याडंबर
रिश्वत, काले धन, भ्रष्टाचार  को
जडमूल नष्ट करने की
क्रांति का तूफान न करते,  करवाते
तब तक दस लोगों के यहाँ
खोज  फल खबर के अनुसार
भारत की गरीबी  दूर होती.
सोचो विचारो गरीब, मध्य वर्ग के
वोट ही शासक का निर्णय करते.
विचारों का तूफान की जरूरत है.
स्वरचित स्वचिंचक यस. अनंतकृष्णन जी.

Tuesday, January 22, 2019

भक्ति के कारण (मु )

भक्ति के कारण (मु )

भक्ति तो अमीरों को लिए
बाह्याडंबर.
नास्तिकों के लिए
प्रदर्शनी.
भक्तों के लिए   अलौकिकता.
दुखियों के लिए आशा.
 भिखारियों के लिए पेशा.
चलते फिरते फेरी वालों के लिए
जीविकोपार्जन  .
आश्रम आचार्यों  के लिए  स्वरण सिंहासन.
राजनीतिज्ञों के लिए  मनोरंजन.
आदर्श  विज्ञान  ग्ञानियों के लिए
निस्पृह  जीवन.
आशा, शांति, संतोष के केंद्र.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन 

Sunday, January 20, 2019

नई ज़िंदगी (मु )


नई ज़िंदगी (मु )
नई सी जिंदगी घुलना लगी,
हाँ, प्यार, सेवा, जन कल्याण.
हिंसा का अवतार अशोक,
कलिंग के निर्दय युद्ध  के बाद
क्रूर अशोक  की जिंदगी में
 नई सी जिंदगी घुलना लगी.
 सिद्धार्थ  सुखी सिद्धार्थ
रोगी, शव, कोढी देख
दुखी   त्यागी संन्यासी  राजकुमार,
जिंदगी में इक नई-सी
जिंदगी घने लगी.
सिद्धार्थ  बुद्ध  बन
भारत के चार चाँद बन
जिंदगी में इक ऩई. सी जिंदगी
अगजग में चमककर घुलना लगी.
 थप्पड पडा दक्षिण  ईपत्रिका में
वह मोहनदास की जिंदगी में इक
नई सी जिंदगी  घुलने लगी.
बना विश्ववंद्य  महात्मा.
गांधी बनिया भूल
सब अपने नाम के साथ
खान  हो या ब्राह्मण  गांधी जोड
गांधी वंश को  छिपा जिंदगी में
 इक नई सी ज़िंदगी घुलना लगी .
नश्वर जग में रत्नाकर वाल्मीकि  बन
जिंदगी में इक नई सी रामायण
जिंदगी घुलना लगी.
जिंदगी नहीं हाडमाँस के तनसे
लिपटकर रहना, वह तो नश्वर
आँखें  लाल हुई पत्नी को वचन
तुससीदास को अवधि के शशि बनाया.
 महानों की  जिंदगी के अध्ययन  से
कइयों की जिंदगी  में
इक नई जिंदगी घुलना लगी.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन 

छंदबद्ध कविता -निकली यह सांत्वना.(मु )

सब मित्रों  को सप्रेम प्रणाम.
सब को बहुत बहुत धन्यवाद.
कविता नियमानुसार  कुछ
लिखने के प्रयास में
निकली  यह सांत्वना.
**************
छंदबद्ध  कविता -निकली  यह सांत्वना.(मु ) मात्रा गिना ,
शब्द खोजा ,
समय तो हुआ
 बेकार.
मन के विचार 
प्रकट में
छंदबद्ध 
खोजना बेकार.

दोहा  ,चौपाई शब्द
कोई स्नातकोत्तर,  शोधार्थी  न करते.

मन लगाता नव कविता  है कूँ में.

ईश्वरीय  देन कविता,
जैसे आदी कवि, तुलसी, कबीर
तपस्वी, अनपढ की रचना,सतसंग
बने अमर सूर सूर तुलसी शशि.

 पढ बन जाते स्नातक स्नातकोत्तर.

तमिल कवि कण्णदासन, वर कवि भारती सम
न कवि बना स्नातक स्नातकोत्तर  डाक्टरेट.

उपाधियां पाना अन्यों की रचना खा ,
कै करना .
जग विख्यात  कोई आविष्कर्ता,
 धनी  आदि ने न पायी
उपाधी.
चायवाले  की चतुराई  न स्नातकोत्तर  को.

तमिलनाडु  के शिक्षा  मंत्री एम. ए.,
मुख्य मंत्री करूणा, यम.जी.आर,जया  न स्नातक.
सोचते विचारे पता चलता
सबहीं  नचावत राम गोसाई.
  माफ करना  मैं हूँ
 अधजल गगरी छलकत जाय.
  वेतन पाने पाया एम. ए,
 वेदना में सांत्वना ऐसा बकना -संभलना.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

Saturday, January 19, 2019

प्रेम प्रस्ताव. (मु )

सबको नमस्कार.
संचालक  को नमस्कार.

शीर्षक :-
प्रेम प्रस्ताव :
जब मैं बच्चा था
 तभी लड़कियों से
बोलना मना ू.
दादाजी कहते,
लडका लडकी
बात करना मना.

आज प्रेम  प्रस्ताव  के लिए
न कबूतर, न हंस.
सीधे मिलना,  प्रस्ताव  रखना,
न मना तो उच्छवास.
पत्र लिखना पुराना हो गया.
मोबाइल है सीधे मुख देखने भय है
तो मोबाइल में बुलाना.
सरलतम प्रेम प्रस्ताव.
जूतों का मार सहज.
गाली तो मधुर.
अंग्रेज़ी  शिक्षा,  लव लौ  .
केवल प्रस्ताव  रखने साहस चाहिए.
मोबिल चाहिए.
अमीरी का प्रस्ताव
गरीबी का प्रस्ताव
सब कुछ  आसान.
स्वरचित स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन

खुदा की परेशानी (मु )

खुदा  की परेशानी (मु )

रहम बेरहम के लोग.
अगजग में  हैं तो
किसका कसर.
खुदा?
मनुष्य  को   बुद्धि  देकर
खुदा खुद  परेशानी में.