Saturday, June 29, 2019

भक्ति

संचालक, संयोजक,  सदस्य, पाठक आदि  सबको  नमस्कार।
   न जाने,
  भावाभिव्यक्ति हो,
  ईश्वर  दर्शन हो,
 सब में  नवीनीकरण लाना
भूलोक नियम।
नंगा   घूमा  करते थे,
वस्त्र पहने, निराकार  परब्रह्म
की उपासना की।
सूर्य, चंद्र, नक्षत्र ,नदी,
जंगल  की प्रार्थनाएँ कीं।
खेद की बात  है  कि
होशियारी के
 बढते  -बढते,
पवित्र  मानव  मन
अपवित्र  बनने  लगा।
भक्ति  में  बाह्याडंबर।
सोने चाँदी  का महत्व।
भूल गए हैं  :-मन चंगा तो कटौती में गंगा।

संतोष

कलम की यात्रा।
शीर्षक:संतोष।
 तुलसीदास:
गो  धन,गज धन,बाजी धन,रतन धन खान।
जब न आवे संतोष  धन,
सब धन धूली समान।
 संक्षेप  में  संतोष,
संदेश  तुलसी का।
स्वरचित स्वचिंतक :
 चंचल मन,चंचला धन,
  आवारा आदमी,न देता संतोष।
 लोभी,क्रोधी  ,किमी,
अहंकारी  न पाते संतोष।
आत्मानंद, आत्मसंतोष
आध्यात्मिकता में  जान।

संतोष

कलम की यात्रा।
शीर्षक:संतोष।
 तुलसीदास:
गो  धन,गज धन,बाजी धन,रतन धन खान।
जब न आवे संतोष  धन,
सब धन धूली समान।
 संक्षेप  में  संतोष,
संदेश  तुलसी का।
स्वरचित स्वचिंतक :
 चंचल मन,चंचला धन,
  आवारा आदमी,न देता संतोष।
 लोभी,क्रोधी  ,किमी,
अहंकारी  न पाते संतोष।
आत्मानंद, आत्मसंतोष
आध्यात्मिकता में  जान।

Thursday, June 27, 2019

जंगल

समन्वयक, संयोजक, संचालक, सबको प्रणाम।
  शीर्षक:-जंगल/वाटिका/उपवन।
  जंगल  की  वनस्पतियाँ
  ईश्वर  पालित प्राकृतिक
संतुलन  के ईश्वर  सृजन।
उपवन ईश्वर की दी
बुद्धि  से मानव निर्मित।
जंगल  में  आदमखोर।
ज॔गल में  भयंकर जंतु।
जंगल में  वन महोत्सव।
ऋषि मुनि सिद्ध पुरुषों का आवास स्थान।
 असाध्य रोगों की जडी बूटियों  के केंद्र।
जंगल  सुरक्षा  विश्व समृद्धि  का,
पर्याप्त  वर्षा  का मूल।
वाटिका  मानव निर्मित।
पानी  देना ,खाद देना,
सुंदरता  के  लिए  काटना।
मानव परिश्रम से निर्मित।
ईश्वर  निर्मित 
 जंगल  काटना
ईश्वर  का अपमान।
हद तक  सहेंगे।
ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव की
आँखें  न खुलेंगी  तो
भूकंप, सूनामी,अकाल निश्चित।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

आनंद

प्रणाम सज्जनों।
आनंद  । कितने प्रकार।
आकर्षण  कितने  प्रकार।कितने  आकर्षित।
आज पता चल जाएगा।
संचालक को नमस्कार।
आयोजन  मेरा नाम,
धन्यवाद।
आनंद  कितने  प्रकार।
 सुना परमानंद।
सुना ब्रह्मानंद।
शिशु के  स्तन पान में,
माँ  का आनंद।
तीर्थयात्रा  में  भक्तों  को आनंद।
मिथ्या वादा देने में,
राजनैतिक
 उम्मीदवारों  को,
मिथ्या  वादों  को
सुनने में  मतदाताओं को आनंद।
एनकेनप्रकारेन जीतने में  आनंद।
कुछ  लोगों को
देने में  आनंद।
कुछ  लोगों  को
लेने में  आनंद।
पाने में  आनंद।
त्याग  में  आनंद।
भोग में  आनंद।
मिलने में  आनंद।
दिल चुराने में आनंद।
चोरी करने में  आनंद।
डाका डालने में  आनंद।
 कवि का आनंद,
गाने का  आनंद।
वाद्ययंत्र  का आनंद।
कितने आकर्षक, कितने आकर्षित, कितने आनंद  प्रद पता चलेगा  आज।
ऐसे  भी लोग  हैं,
ठगने में, इज्जत
लूटने में ,
दूसरों को हँसी  उड़ाने में,
अस्थाई  आनंद में  आकर्षित।
आनंद  ब्रह्मानंद।
स्वर्गिक आनंद।
 आज के लेखक की
लेखनी से आत्मानंद।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

Wednesday, June 26, 2019

तेरे लिए

प्रणाम।  साथियों!संचालकों! सदस्यों!सज्जनों।
प्रणाम।
शीर्षक =तेरे लिए
प्रेमी/प्रेमिका,
यह प्रेम  पत्र  तेरे लिए।
तेरे मन में  स्थान
पाने के लिए ।
तुझे मेरे मन में
 बसाने के लिए।
 कबीरानुसार   तू मेरे  लाल।
अतः मैं  भी हो गई  लाल।
परमात्मा  मिलन में
परमानंद।
ब्रह्मानंद  भोगने
प्रार्थना  तेरे लिए।
मैं  लौकिक  प्रेम  केलिए नहीं  पत्र लिखता।
मैं  अलौकिकता केलिए
प्रार्थना।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

आदी मुद्रा योगाभ्यास

परिषद  को प्रणाम।
आदी मुद्रा  के चित्रण।
योगाभ्यास  में  सीखा।
अंगूठा  पंजे में  दबाकर,
चार उंगलियों  से
 बंद कर  देखो।
यह आदी मुद्रा।
बच्चा जब कोख में
रहता तभी ऐसी मुद्रा।
अतः नाम पडा आदी मुद्रा।
सहज प्राणायाम/ नियंत्रण  प्राणायम में,
दोनों  मुट्ठी  ना भी पर रखो।
साँस खींचने में  नियंत्रण  रखो।
लाभ तो अधिक, पर यह भारतीय  कला,विदेश में प्रचलित।
 अच्छाइयों को भारत से चलने दीजिएगा। पर भूलना तो अति मूर्खता।
आदी मुद्रा योगाभ्यास करें।
अपनी,तोंद, चर्बी  चढना
साँस  घुटने सब से बचिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं। ,