Friday, September 25, 2020

 धर्म  मानव धर्म 

किसान बनकर अगजग की भूख मिटाना। 

साधू बनकर सदुपदेश ,

गुरु बनकर अज्ञानान्धकार मिटाकर अनंतेश्वर से मिलाना। 

व्यापारी बनकर आवश्यक पदार्थों की बिक्री। 

पेशेवर बनकर उपयोगी कला। 

उद्योगपति बनकर बेकारी दूर करना। 

ईश्वर की सूक्ष्म ज्ञान ,

अगजग की व्यवस्था ,

एक की क्षमता दुसरे को नहीं ,

हरफन मौला जग में कोई नहीं।

शारीरिक  बल है तो बुद्धि बल कम। 

आर्थिक बल तो अन्य बल कहाँ ?

एक दुसरे से आश्रित वही 

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि। .

स्वरचित -स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन


नाच न जाने  आँगन टेढ़ा। 

आँख का अँधा नाम नयन मुख। 

पेशे का भिखारिन नाम लक्ष्मी देवी। 

यही अगजग  का व्यवहार। 

पाप  का अवतार ,नाम पुण्यमूर्ति। 

बहाना बनाने एक लोकोक्ति 

अज्ञानता पर पर्दा ,

परीक्षा का डर ,नीट का विरोध।

चार लाख योग्य प्रशिक्षित अध्यापक 

तमिलनाडु में परीक्षा दी ,३६५ उत्तीर्ण। 

नीट परीक्षा विरोधी। 

यही नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

स्वचिंतक स्वरचित  एस.अनंतकृष्णन

  आँधियाँ

          2. गम की बरसात

          3. जिंदगी की धूप

नमस्ते।  वणक्कम ! तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक 

१९६६-६७ --आँधियाँ  चली तमिलनाडु में ,

         कौन-सी आँधी  हिंदी विरोध की आँधी। 

         कालेज -स्कूल के छात्र सत्ता पकड़ने अस्त्र -शस्त्र  बने 

        निर्दयी राजनीती कुर्सी पकड़ने आंदोलन की चरम सीमा 

        रेल जले ,बसें जली ,पुलिस की गोलियों के शिकार बने 

       गम की बरसात ,लाठी का मार.

       बस ,चुनाव में ईमानदार नेता हार गए ,

      राष्ट्रीय चेतना को लेकर आंधी समाप्त।

     प्रांतीय द्रमुक दल ,फिर अण्णा द्रमुख दल। 

     तभी मैं  हिंदी प्रचार में लगा.

      हर चुनाव के समय यह आंधी आती ,

       आँधी  के बीच या बाद ऐसे नहर-नाले -नदी 

        हिंदी के स्वाद लेकर बही ,

       द्रमुक नेता अपने वारिश को 

     सांसद - मंत्री बनाने हिंदी सीखी ,

    पर  जनता को सीखने नशीन देते। 

     संस्कृत का विरोध ,पर उनके दाल का चिन्ह "उदय सूर्य।

 अब ऐसी आँधी  की प्रतीक्षा में ,

  जिससे उनके छद्म वेश /दुरंगी चाल का मुखड़ा उड़ जाएँ।

  आँधी  से हानी पर भला होती ही है। 

  अब सारे दक्षिण में तमिलनाडु में ही 

  बिना केंद्र के या राज्य के समर्थन बिन 

   दो लाख से ज्यादा जनता की प्यारी बन गयी हिंदी।  हिंदी !

एस। अनंत कृष्णन ,चेन्नै। 


गम की बरसात 

  तमिलनाडु में देव विरोध के गम की बरसात। 

   हजारों मूर्तियाँ  ई। वे.रामसामी नायक्कर की 

  भगवान नहीं के नारे के साथ.

   भगवान कहनेवाला अयोग्य ,

   भगवान को माननेवाला बेवकूफ। 

    अंग्रेज़ी  पढ़ेंगे भले ही तमिल माध्यम के स्कूलों का बंद  हो। 

     हिंदी के विरुद्ध प्रांतीय दलों का नारा।

     उनके साथ राष्ट्रीय दल कांग्रेस।

     अब भारतीय जनता की शिक्षा नीति के विरुद्ध ,

      किसान सुधार बिल के विरुद्ध वर्षा।

      यही  तमिलनाडु में  गम की बरसात।

जिंदगी धूप। 

ईश्वर की लीला या मानव के पाप। 

पता नहीं कोराना  का मरुभूमि धूप। 

अस्पतालों में दिवा लूट ,

व्यवसायों में मंद ,शिक्षालय बंद। 

टैक्सी वालों का लूट ,सरकारी यातायात बंद.

मनमाना दाम ,पुलिस का कठोर व्यवहार।

जिंदगी धूप  अति गरम ,

कब होगा ठण्ड पता नहीं।

सर्वेश्वर से प्रार्थना ,धुप को ठंडा करें। 

करना का दहकता धूप मिट जाएँ। 

स्वरचित -स्वचिंतक -एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै

 मार्गदर्शक सोच बदलते हैं,

मार्ग तो एक,वहीं निष्काम जीवन ।।

जो मिलेगा  मिल ही जाएगा,जो न मिले गा ,लाख प्रयत्न पर भी मिलता नहीं।

सिद्धार्थ बुद्ध बने,मनुष्य के बुढापा,रोग, मृत्यु जिसके कारण राजमहल त्यागे अपने मंजिल न पहुंचे। 

यही जीवन । रोग बुढ़ापा मृत्यु सूक्ष्म शक्ति मानवेतर शक्ति। 

विद्वत्ता ,पैसे ,पद ,नालायक है ईश्वरीय सुनामी के सामने। 

ईमानदारी ,सत्य ,अहिंसा ,परोपकार इंसानियत ही जीवन। 

एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै। 8610128658 mobile 


उम्मीद 

  उम्मीद है पैसे के बल है तो 

   न्याय ,उपाधि ,घर ,नौकरी 

    सब प्राप्त होगा। ------लक्ष्मी विशवास। लक्ष्मी पुत्र 

उम्मीद शिक्षा और ज्ञान पर हो तो 

न्याय ,उपाधि ,घर ,नौकरी  और मनोकामनाएँ पूरी होगी। -सरस्वती पुत्र। 

भाग्य पर उम्मीद हो तो 

चुपचाप रहने पर भी तीनों मिलेगा। --भाग्य…

[12:22 PM, 9/25/2020] Ananda Krishnan Sethurama: धर्म  मानव धर्म 

किसान बनकर अगजग की भूख मिटाना। 

साधू बनकर सदुपदेश ,

गुरु बनकर अज्ञानान्धकार मिटाकर अनंतेश्वर से मिलाना। 

व्यापारी बनकर आवश्यक पदार्थों की बिक्री। 

पेशेवर बनकर उपयोगी कला। 

उद्योगपति बनकर बेकारी दूर करना। 

ईश्वर की सूक्ष्म ज्ञान ,

अगजग की व्यवस्था ,

एक की क्षमता दुसरे को नहीं ,

हरफन मौला जग में कोई नहीं।

शारीरिक  बल है तो बुद्धि बल कम। 

आर्थिक बल तो अन्य बल कहाँ ?

एक दुसरे से आश्रित वही 

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि। .

स्वरचित -स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन

Thursday, September 24, 2020

 शीर्षक ===फिर मिलेंगे एक दिन।

नमस्ते । वणक्कम।

 फिर फिर मिलना दोस्ती।

विदेशी यात्रा या तीर्थ यात्रा

जाते समय कहना 

फिर मिलेंगे ।।

जहां जाते हैं ,वहां से 

आने की संभावना  कम हो 

तब कहेंगे फिर मिलेंगे एक दिन।।

सबेरे जाकर शाम को आना

 शाम को मिलेंगे।

शायद फिर मिलेंगे?

वह संदेहास्पद।

युद्ध क्षेत्र या दुश्मनी से या होड़ में

हारकर गुस्से में कहना 

फिर मिलेंगे एक दिन।

खेल में हारकर भी फिर खेलेंगे।

फिर मिलेंगे एक दिन।

रेल यात्रा की मित्रता 

कुछ घंटों का तब 

यात्री दोस्ती उससे भी कहेंगे 

फिर मिलेंगे एक दिन।

हम मुख पुस्तिका या

शब्दाक्षर दोस्ती 

मिले ही नहीं फिर  कहेंगे क्या?

विपरीत विचार एक दिन 

समान विचारों से फिर

कविता द्वारा मिलेंगे।

फिर  मिलेंगे एक दिन ।।

प्रेमी या प्रेमिका  शादी न हो सकी।

दूसरों से   हो गई।

तब  फिर मिलेंगे दोस्त बनकर 

या भाभी या देवर बनकर।

जिंदगी में फिर मिलेंगे यही।।

स्वरचित स्वचिं तक 

तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक 

हिंदी प्रेमी एस.अनंत कृष्णन 

 नमस्ते 

तेरे मेरे साथ निभाना शर्तों के अनुसार ही होगा।

 मेरे वेतन मां के हाथ में

मेरे खर्च तुम पर।

मेरी बहन आएगी।

मेरा भाई आएगा।

तेरे नहीं होना ।

तेरा मेरा साथ सही निभाना ।

अनंत कृष्णन

 

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.
தமிழாக்கம் :--
அனந்த கிருஷ்ணன் ,சென்னை .
( ஓய்வு பெற்ற தலைமை ஆசிரியர் ,.DrRamshankar Chanchalis withDrRam Shankar Chanchal
சில கனவுகள் கலைவதால்
வாழ்க்கை மரணம் அடைவதில்லை .
உண்மையில் அது நன்மையளிக்கும் .
சிலசமயங்களில்
தனிமையாக இருப்பது
தனக்குத் தானே பேசிக் கொள்வது
புன்சிரிப்பு சிரிப்பது
தன்னை மறந்திருப்பது
தன்னையே உலகின் ஆரவாரத்தில் இருந்து
பயம் -பீதியில் இருந்து ,ஹிம்சையில் இருந்து
மிக தொலைவில் அறியாத இடத்தில்
சுய மயக்கத்தில் முணுமுணுப்பது
நலமாகத் தோன்றுகிறது .
தனியாகச் செல்வது ,இயற்கையின் அழகை
ரசித்துக்கொண்டே
வெகு தொலைவில் நதி ,பறவைகள் ,மரங்கள்
ஆகியவற்றுடன் பேசிக்கொண்டே ,
அவைகளுடன் வாழ்ந்துகொண்டே
எனது சுய ஆனந்த மயக்கத்துடன்
தனியாக இருப்பதில்
ஆனந்தம் காண்கிறேன் .
कुछ सपनों के टूट जाने से जीवन नही मरा करते हे ........................
सचमुच
बहुत अच्छा लगता
कभी -कभी
अकेला होना
खुद से बाते करना
मुस्कना
ऑर खो जाना
खुद मे ही
दुनिया की भीड़ से
अलग
छल -कपट/हिसा-आतंक
सबसे बहुत अंजान
बेखबर /सुदूर
आफ्नो ही मस्ती मे
मस्त हो / गुंगुनाते
अच्छा लगता
अकेल चलते रहना
प्रकृति की रम्य
खूबसूरती को निहारते
मिलो दूर /सुदूर
नदी /नाले /पेड़ /पक्षी
सबसे
बाते करते
उनके संग जीते
मुस्काते
बल्कि सोचता हूँ
कभी -कभी क्यो
अक्सर अच्छा लगता है
इस
अमानवीय /दुष्ट
छल /भरी दुनिया से
अलग
अकेला होना
अकेला रहना
अपनी ही
मस्ती मे मस्त .........................मेरी लोकप्रिय कविता जिसका सिंधी भाषा मे भी अनुवाद हुआ अंतराष्ट्रीय संग्रह मे हुआ