शीर्षक --विदाई/जुदाई।
Saturday, October 31, 2020
बिदाई /जुदाई
शरद पूर्णिमा
पूर्णिमा अति चाँदनी।
नील चाँद ,लक्ष्मी देवी का संतोष।
Thursday, October 29, 2020
समय
समय
समय चूकना अवसर गंवाना।।
दुख में सुमिरन सब करें,
सुख में करै न कोय।।
नयन खराब होने के बाद,
सूर्य नमस्कार।।
अच्छे दिन पाछे गये,
अब पछताने से होत क्या?
चिड़िया चुग गई खेत तो
हरी से करता होत ।।
जवानी चली गई तो बुढ़ापे में
पछताना बेकार है।।
दांतों में अखरूट बुढ़ापे में
तोड़ना कैसे?
समय चूकना अवसर गंवाना।
बुढ़ापे में विवाह करना,
निर्मल नहीं,मल ही जान।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
जुवन/प्रकृति
जीवन/प्रकृति।
संचालक,समन्वयक,प्रशासक, सदस्य,पाठक
चाहक सबको नमस्कार। वणक्कम ।तमिलनाडु के हिंदी
प्रेमी अनंत कृष्णन चेन्नै का।।
प्रकृति सहज प्रतिक्रिया के बिना,
दो बिंदुओं के मिलन से उत्पन्न मानव
अन्य पशु पक्षी का जीवन कैसे संभव?
प्रकृति की देन तरकारियो के बिना
जिंदा रहना कैसे?
सूर्य की धूप भाप बिना वर्षा कैसे?
वायु देव के बिना सांस लेना कैसे?
पंच तत्त्व रहित पद,अधिकार,धन-दौलत
आदि का भोग कैसे?
बुढ़ापे,मृत्यु बगैर भूमि का भार कैसे घटता।।
जीवन मृत्यु प्रकृति की देन।।
मौसम बदलना,छे ऋतुओं का चक्कर।।
जीवन के सुख का प्रतीक वसंत तो
पतझड़ दुख का।
परोपकार की तुलना
दान,त्याग के उदाहरण।
गर्मी का सुख। तरुतले।।
प्रकृति ओर जीवन भिन्न अभिन्न।
अंधे का जीवन,बहरे का जीवन
जन्मजात है तो इलाज कहां?
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
काला चश्मा
नमस्ते नमस्ते वणक्कम।।
३०/१०/२०२०.
शीर्षक: काला चश्मा।।
काला चश्मा आंखों को शीतल।
कामांध व्यक्ति के लिए विशेष उपयोगी।।
ताश खेल में सामने वाले के पत्ते देखने
सिनेमा में खलनायक के लिए सफलता निश्चित।।
काला चश्माधारी बदमाश,
बचपन में मेरी मां दादी की सीख।।
काले चश्म गाली के पात्र।
एक अंधा काला चश्मा पहना,तो
वह बदमाश कैसा।
लड़कियां भी काला चश्मा पहनती।
गाली देना, बड़ों की सीख भी अंधानुकरण सही नहीं।।
काले चश्मा केटराक्ट शल्य चिकित्सा के बाद पहनना भी जरूरी।।
एक ही चीज़ के सदुपयोग और दुरुपयोग।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
சொப்பனம் /கனவு
தமிழும் நானே ஹிந்தியும் நானே.