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Saturday, October 31, 2020

बिदाई /जुदाई

 शीर्षक --विदाई/जुदाई।

मेरे बेटे-बेटियों की बिदाई,
अंतर्जाल मुलाकात अति आनंद।।
बिदाई में हम मानसिक दुख-सुख ।।
नोकरी मिली, अमेरिका रवाना हुए,
हवाई अड्डे पर विदाई आंसू,
विदाई में प्रसन्नता-अप्रसन्नता।।
राम वनवास,लक्ष्मण भी साथ।
उर्मिला के मन में जुदाई का दुख हो या न हो,
मैथिली शरण गुप्त "साकेत" की सृष्टि।।
यशोधरा का विलाप यह जुदाई।।
जवान सैनिक की विदाई,पत्नी की जुदाई।।
सब श्रेष्ठ कवियों के यथार्थ-आदर्श चित्र लेखन।।
पाठकों के मन में व्याकुल।
चित्र पट पर आंखों में अश्रु बहना।।
विदाई में प्रसन्नता-अप्रसन्नता के लक्षण।
जुदाई में दुख की मनोदशा,
उर्मिला,शकुंतला, यशोधरा ही जाने।
उनकी मनोदशा कवि गुप्त ही जाने।।
वियोग श्रृंगार रस विशिष्ट दुखप्रद।।
यशोधरा सखी!कहकर जाते।
सिद्धार्थ की निर्ममता के दृश्य।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।

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