Thursday, October 8, 2020

चैन-बेचैन

 चैन और नींद न आए।

देखा, समाज में कठोर परिश्रमी,

चैन सहित सोता है तो

बेचैनी  से नींद की गोली खाकर

सोता है अलसी।।

दिल में सच्चा दिल नींद रहित

सेवा की बात  सोचता रहता है।।

झूठे को ,छली को ,लोभीको 

नींद की गोली सुलाती है।

स्वावलंबित और परावलंबित में

स्वावलंबित सोता नहीं जान।।

 देश सेवा और देश रक्षक को नींद कहां?

भ्रष्टाचारी और रिश्वतखोर को

तो सदा रहती बेचैनी।।

धनी को अपने धन की

 सुरक्षा की चिंता।।

दानी को दान देने धन की चिंता।।

चिंता रहित कोई नहीं,

भक्त अपने भगवान से

मिलने की बेचैनी।

किसान को तो वर्षा की चिंता।

नमक खेतीहर को 

वर्षा आने पर चिंता।।

आजकल सब को कोडिंग की चिंता।।

 सोचो विचारों ! 

चाह ग ई चिंता मिटी,मनुवा बेपरवाह।।

जाको कछु न चाहिए वहीं शाहंशाह।।

स्वरचित कविता एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै

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