नमस्ते। वणक्कम।
नाम --अनंतकृष्णन
तारीख --८-१०-२०२०
शीर्षक --भूल से माफी गर जोड़ा जाए
माफ करना सज्जनों का काम।
माफ माँगना अपराधियों का धर्म।
धर्म छोड़ना ,काम छोड़ना
सही नहीं बार बार कसर ,
कसर के लिए माफी।
भूलकर भूल ,अनजान भूल ,
जान बूझकर भूल।
इन भूलों में पहले दो आसान से
माफी माँग लेते हैं ;
तीसरे के भूल पकड़ा जाने पर भी
आसानी से पहले कबूल नहीं करते।
भूल समझकर भूल क्षमा की भूल है तो
माफी माँगना ,माफ करने में न कोई दिक्कत।
भूल विस्मरण ,भूल गलती
विस्मरण की भूल भूल नहीं।
स्मरण की भूल क्षम्य नहीं।
जो भी हो छिमा बदन को चाहिए
छोटन की भूलें।
भूल के स्तर के अनुसार
दंड भी अनिवार्य।
स्वरचित स्वचिंतक -एस। अनंतकृष्णन , हिंदी प्रेमी ,चेन्नै -६०००४२
मोबाइल --8610128658
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