Sunday, October 4, 2020

 आसमान -आकाश धरती -वसुंधरा

आसमान धरती से देखते हैं ,
सूर्य की गर्मी ,चन्द्रमा का शीतल
तारों का टिम टिमाना
धरती को निकट से छूकर देखते हैं।
जलप्रपात से गिरते नीर में नहाकर देखते हैं
बहती नदी में डुबकियाँ लगाकर देखते हैं
कुएँ में कूदकर तैरते हैं ,
मिट्टी के खिलौने बनाकर ,
पेड़ पौधे लगाकर ,
प्रिय पालतू जानवर को गाढ़कर
अंतिम संस्कार कर देखते हैं ,
यहीं स्वर्ग -नरक का अनुभव करते हैं
पर यहीं कहते हैं स्वर्ग है आसमान पर।
जिसे किसीने न देखा है.
बचपन का दुलार ,लड़कपन के दुलार
जवानी का दुलार ,बुढ़ापा का दुःख
दौड़ना -भागना जवानी ,बुढ़ापा सोच सोचकर आँसू
नरक तुल्य कोई कोइ खोया जवानी।
आसमान के स्वर्ग -नरक की चिंता में
जवानी का स्वर्ग -बुढ़ापे का नरक भूल
मानव तन समाजाता मिट्टी में।
आसमान धरा की चिंता कहीं नहीं
यहीं भोग प्राण पखेरू उड़जाते।
कहते हैं धरा नरक आसमान स्वर्ग।
एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै।

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