ढाई अक्षर प्रेम का,ढाई अक्षर प्यार का।।
अगजग का मदिरालय,
प्रेम का नशालय।।
मात्रा गिनना, दोहा रचना
भावाभिव्यक्ति में अति बाधक जान।
पुरातन का नदारद
नवीनता का आगमन।।
यही प्रगति यही विकास,
मैथिली से खड़ी बोली हिन्दी तक जान।।
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