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Thursday, October 29, 2020

जिंदगी करता है?

 नमस्ते। वणक्कम।

जिंदगी क्या है?

सादा जीवन,उच्च विचार।।

साधु-संत-सिद्ध पुरुषों का 

जीवन अलग।

तरुतल वासा,करतल भिक्षा।

भारतीय भक्त कल्याण चिंतक

वस्त्र तक तजकर दिव्य 

शक्तिपाकर जीते थे।।जी रहे हैं।

विश्व विजेता सिकंदर ,

सर्दी में अर्द्ध नग्न आचार्य

दांडयायन देख घुटने देख बैठ गये।

आजकल आंतरिक भक्ति से

बाह्याडंबर  की भक्ति ज्यादा।

विद्यासागर बड़े विद्वान,

पर उनका भी सादे कपड़ों में

अनादर ही मिला।

हसरत लिपी कविओं से

छापी कविताएं पसंद हैं।

वटवृक्ष के नीचे विराजमान

विघ्नेश्वर से हीरेमुकुट स्वर्ण कवच

विनायक के दर्शन करने लंबे कतार।।

चुनाव में ईमानदारी  देशभक्त सेवक 

उम्मेदवारों से बाह्याडंबर  भ्रष्टाचारी

उम्मेदवारों की सफलता निश्चित।।

आजकल सादगी और बंदगी ही जिंदगी सही और स्वाभिमान की बात

सामाजिक सम्मान !!???

पंजीकरण शुल्क बिना 

कवियों को मंच नहीं।

बाह्याडंबर मंच श्रृंगार,

निमंत्रण पत्र,मुख्य अतिथि स्वागत।

अपने खर्च में सम्मान।

सहयोगी कवि मित्र खर्च।।

गुरु कुल की पाठशाला नहीं,

वातानुकूलित पाठशाला का

 महत्त्व अधिक।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।

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