Saturday, October 17, 2020

दुर्दशा

 नमस्ते। वणक्कम।

दुर्दशा में न हो कभी दिशाहीन।

पौराणिक कथाओं में दुर्दशा और शाप

दशरथ क्षको भी आया, राम को भी और रावण को भी।

नल दमयंती ,हरिश्चंद्र, शकुंतला,दुश्यंत

कहानियां न जाने दुर्दशा कितनों की।

भारत की दुर्दशा विदेशी आक्रमण।

अंग्रेजी भारतीय भाषाओं  की दुर्दशा।

राम और सीता की दुर्दशा 

मंथरा का रूप।

भीष्म पितामह की दुर्दशा

आजीवन ब्रह्मचारी।।

ये दुर्दशाएं अति सूक्ष्म।

 हम अत्यंत चतुर,पर सुनामी, कोराना,वर्षा ,बाढ प्राकृतिक।

जवानी, बुढ़ापा,रोग,कितनी बुरी हालत।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

स्वरचित सर्व चिंतक अनंतकृष्णन,चेन्नै।।

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