नमस्ते।वणक्कम।
तड़के उठी,घर के दरवाजे पर
चावल के आटे से रंगोली
खींच रही थी।
चिडिये-पक्षी कलरव का शोर।।
तभी बुल्लट में आए दो हेलमेट धारी
लड़की के गले का हार छीनकर गये।
लड़की शोर मचायी ,
हेलमेट चोर के सर मात्र न बचाता।।
चेहरे ढककर उचक्के का
पता लगाने न दिया।
तड़के पक्षियों का शोरगुल।
बु्ल्लट की आवाज़,लड़की का शोर।।
कूड़े बटोरने सीटी का शोर।
फिर स्कूल बस का सायरन ।
कुकर का विशिल आवाज ।।
शोर के कारण अनेक।
बगैर रोने के शोर से न हुआ
हमारा जन्म।।
रेल गाड़ी का सीटी बजाना।
विवाह मंडप में नादस्वर,
मृदंग, वेद ध्वनि।
हर कहीं शोर ही शोर।
मंदिर की घंटी ध्वनि,
मस्जिद की ध्वनि।।
शोर नहीं तो
जान नहीं।
हृदय धड़कन।
कुत्ते की भूंक।।
शोर नहीं तो कैसा जीवन।
हर तरफ शोर के और कई कारण।
पटाखे जब जुलूस बारात निकलता।।
खुर्राट की आवाज़ सोते वक्त।
मरते ही रुदन की आवाज।
जन्म से लेकर मृत्यु के बाद भी शोर।
हर तरफ शोर ही शोर।।
नमस्ते।।
आपका अनंत कृष्णन।
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