Monday, November 30, 2020

मिलना-जुलना बिछुडना विदा अलविदा

 नमस्ते वणक्कम।

‌ मिलना,बिछुडना, विदा, अलविदा

 प्रकृति का अटल नियम।।

 पिता माता के आलिंगन चुम्बन मिलन।

गर्भधारण। सूक्ष्म निराकार मिलन।

मां के गर्भ में दस महीने में 

पूर्ण मानब रूप।।

मां के गर्भ से बिछुडना पहला सोपान।

पढ़ाई के बाद नौकरी के लिए 

बिछुडना तीसरा सोपान ,

लड़कियां विवाह करके,

विदा  लेना  चौथा सोपान।

इनके बीच शैशव का अलविदा।

फिर बचपन,लड़कपन,जवानी, प्रौढ़ावस्था अलविदा।

बुढ़ापा अंतिम सोपान।

अंतिम अलविदा।।

मिलना बिछुडना विदा अलविदा

अनश्वर अगजग  के

ईश्वरीय अटल नियम।

नियम तोड़ना बदलना अपील असंभव।।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।



भक्ति अछूत नहीं।

 नमस्ते। वणक्कम।

अछूत नहीं होती कभी भक्ति।

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कटु सत्य प्रमाण सहित 

 भले ही अगजग शतृ बने

लिखना ही पड़ता है

समाज कल्याण के लिए।।

 स्वार्थ मानव अपने अलग-अलग 

  सत्ता  पद, अधिकार के लिए, 

मनुष्य मनुष्य में फूट डाल रहा है।।

अंग्रेज़ों के शासन , धर्मांधता  

अंधविश्वास, सद्य:फल की अभिलाषा,

भगवान के तिलक  बदलाकर,

मंत्र में नाम बदलवाकर  

मनुष्य मनुष्य में घृणा भाव।

जाति संप्रदाय के नाम पर

छुआ छूत के  नाम,

संप्रदाय के नाम,

 न उनमें राम गुह का समन्वय भाव।।

न विदुर का मान,

न रैदास का न कबीर का महत्त्व।।

 स्वार्थ  ही प्रधान।

मनुष्यता या भक्ति नहीं।

हवा ,वर्षा,सूर्य,चंद्र, आकाश तटस्थ।।

 नदी के पानी का स्वाद ,

सागर के पानी का स्वाद 

सब के लिए समान जान।।

भगवान में भेद कैसे?

बचपन, जवानी, बुढ़ापा,मृत्यु बराबर।

भगवान में भेद कैसे?

अंधेरे में   जाति नहीं दीखता।

विदुर का जन्म ।  

भीष्म पितामह की शादी 

मछुआरे की बेटी के साथ।

 ब्राह्मण में एक कलंक काले ब्राह्मण।

तमिलनाडु में एक वर्ग मध्याह्न ब्राह्मण।

जन संख्या बढ़ाने में

इठाली खान ईसाई संबंध।।

सोनिया को आंध्रा में मंदिर।

अछूत रानी  काली मंदिर।

राम कृष्ण परमहंस, विवेकानन्द।

कबीर के पिता नहीं,

राम तो दशरथ के पुत्र नहीं।

खीर पीने से भाइयों का जन्म।।

पांडवों के पिता एक नहीं।।

सोचो, समझो,जानो,

अछूत नहीं होती कभी भक्ति।।

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स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।

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Sunday, November 29, 2020

युवा शक्ति

 नमस्ते। वणक्कम।

दिनांक --२९-११-२०२०.
विधा __अपनी शैली/अपनी भाषा/स्वतंत्र।
विषय -- युवा शक्ति जागो।
आज कल माया मोह अधिक।
युवा शक्ति जागो, संयम सीखो।
नश्वर जगत में प्यार ही प्यार,
वह तो सही नहीं, पाश्चात्य सभ्यता
भारत को बिगाड़ने की दुष्ट शक्ति।
अंग्रेजी पाठ में नहीं नैतिक बातें।।
न ऋष्यश्रृंग की कथा,
ब्रह्मचर्य की महत्ता।।
युवकों ! आजकल तलाक अवैध संबंध की
ख़बरें ज्यादा,कारण नर की दुर्बलता।।
शुक्ल पतन कारण चित्र पट की अश्लीलता।
यूट्यूब की काम लीला,
नाना प्रकार से बिगाडने के चित्र।
परिणाम नियंत्रण न कर शुक्ल पतन।
मैं बहत्तर साल का बूढ़ा,
युवकों में मेरी जवानी दोस्त जैसे
उछल-कूद उत्साह, प्रोत्साहन नहीं।
नव दंपती कुछ खोते से दीख पड़ते।
जागो! युवकों!संयम सीखो।
अंग्रेज़ों के देश सर्दी प्रदेश।
भारत जैसा रूई आग जल्दी न पकड़ती।
काफी चाय पीने के जैसे सौभोग नहीं।।
पौरुष बढ़ाने जितेंद्र बनो।।
भीष्म बनो। वीर पुरुष बनो।।
प्रेम प्रेमिका वर्णन साहित्य नहीं।
काम क्रोध मद लोभ मन में हो तो
पंडित मूर्खौ एक समान मान ।

समाज कल्याण

 नमस्ते। वणक्कम।

विधा -कुंड + लिया
विषय--समाज कल्याण
29-11-2020.
साहित्य समाज कल्याण के लिए।
सीता ने अग्नि कुंड का मार्ग लिया।।
फिर भी जीवन में शांति न पाती।।
धर्मयुद्ध कहीं नहीं,
महाभारत के बाद भी।
पांडवों को शांति नहीं।
भले ही कृष्ण साथ रहें।।
राम कहानी सुनाना
समाज में अपना दुखड़ा रोना।
नाते रिश्ते का ईर्ष्या भाव‌ जगाना।
उनकी हानियां दिखाना।।
समाज सुधारना ।।
सद्भाव जगाना।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।

भक्ति

 नमस्ते। वणक्कम।।

भक्त भक्ति से भगवान शोभित।।

 भक्त न फूलों की माला पहनाता,

हीरे मुकुट दान में न देता,

पुष्प किरीट न बनवाता,

पत्थर की सुंदर मुस्कुरा हट की 

मूर्त्ति छैनी से मारकर सुंदर रूप न देता तो भगवान की शोभा कैसे?

मिट्टी में गढ़ी मूर्त्ति भक्त के सपने में न आती तो भगवान की

 महिमा और शोभा

कैसे  चालू होता ।।

भक्त कवियों के कीर्तन बिना

कैसे यशोगान करते?

भक्त की तपस्या और वर के बिना

भगवान की विशिष्टता कैसे?

भक्त की अमीरी,रोग,पद, अधिकार

उत्थान पतन के बिना,

भक्त के संतान,नि: संतान के बिना

भगवान की महिमा कैसे?

वीर ,वीर का पुत्र कायर,

मूर्ख कालीदास महाकवि,

डाकू रत्नाकर वाल्मीकि,

 पत्नी दास तुलसी राम भक्त चंद्रमा,

सूरदास अंधे पर 

कृष्णलीला 

के वर्णन पटु।।

हरे राम हरे कृष्ण के यज्ञ बिना

देश विदेश में कृष्ण की महिमा कैसे?

अगजग में बगैर भक्त के

भक्त गुरु के भगवान से

 साक्षात्कार कैसे?

थोड़े में कबीर ने कहा

जो चिर स्मरणीय,चिर अनुकरणीय।।

आप सब को भी, पढ़िए--

गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागो पाय।

बलिहारी गुरु आपने गोविंद

दियो बताय।।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।

साहित्य

 नमस्ते। वणक्कम।

स्वैच्छिक विषय।।
अपनी भाषा अपनी शैली।
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साहित्य तो ऐसा,जिससे समाज में भला हो।
आजकल तो समाज रीतिकाल में।
भ्रष्टाचार रिश्वत पढ़ें लिखे लोग,
अपराधियों को छुड़ाने,
90लाख रपये के वकील,
अपराधी भी मर गया,
वकील भी मर गया।।
संपत्ति करोड़ों की ,
पर भोगने मंत्री नहीं।
महाराजा ने महल बनवाया।।
अंगरक्षक ने ही राजा की जान ली।।
नश्वर जगत में साहित्य कारों का फर्ज।
युवकों को सतपथ दिखाना।
संयम सिखाना, जितेन्द्र बनाना।।
बद साहित्य बदनाम ही नहीं
समाज देश बिगाड़ने वाले साहित्यकार
अति कंसर्ट नरक भोगेंगे ही।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।

समाज कल्याण

 नमस्ते। वणक्कम।

विधा -कुंड + लिया

विषय--समाज कल्याण

29-11-2020.

साहित्य समाज कल्याण के लिए।

सीता ने अग्नि कुंड का मार्ग लिया।।

फिर भी  जीवन में शांति न पाती।।

धर्मयुद्ध कहीं नहीं,

महाभारत के बाद भी।

पांडवों को शांति नहीं।

भले ही कृष्ण साथ रहें।।

राम कहानी सुनाना

समाज में अपना दुखड़ा रोना।

नाते रिश्ते का ईर्ष्या भाव‌ जगाना।

उनकी हानियां दिखाना।।

समाज सुधारना ।।

सद्भाव जगाना।।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।