नमस्ते। वणक्कम।
अछूत नहीं होती कभी भक्ति।
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कटु सत्य प्रमाण सहित
भले ही अगजग शतृ बने
लिखना ही पड़ता है
समाज कल्याण के लिए।।
स्वार्थ मानव अपने अलग-अलग
सत्ता पद, अधिकार के लिए,
मनुष्य मनुष्य में फूट डाल रहा है।।
अंग्रेज़ों के शासन , धर्मांधता
अंधविश्वास, सद्य:फल की अभिलाषा,
भगवान के तिलक बदलाकर,
मंत्र में नाम बदलवाकर
मनुष्य मनुष्य में घृणा भाव।
जाति संप्रदाय के नाम पर
छुआ छूत के नाम,
संप्रदाय के नाम,
न उनमें राम गुह का समन्वय भाव।।
न विदुर का मान,
न रैदास का न कबीर का महत्त्व।।
स्वार्थ ही प्रधान।
मनुष्यता या भक्ति नहीं।
हवा ,वर्षा,सूर्य,चंद्र, आकाश तटस्थ।।
नदी के पानी का स्वाद ,
सागर के पानी का स्वाद
सब के लिए समान जान।।
भगवान में भेद कैसे?
बचपन, जवानी, बुढ़ापा,मृत्यु बराबर।
भगवान में भेद कैसे?
अंधेरे में जाति नहीं दीखता।
विदुर का जन्म ।
भीष्म पितामह की शादी
मछुआरे की बेटी के साथ।
ब्राह्मण में एक कलंक काले ब्राह्मण।
तमिलनाडु में एक वर्ग मध्याह्न ब्राह्मण।
जन संख्या बढ़ाने में
इठाली खान ईसाई संबंध।।
सोनिया को आंध्रा में मंदिर।
अछूत रानी काली मंदिर।
राम कृष्ण परमहंस, विवेकानन्द।
कबीर के पिता नहीं,
राम तो दशरथ के पुत्र नहीं।
खीर पीने से भाइयों का जन्म।।
पांडवों के पिता एक नहीं।।
सोचो, समझो,जानो,
अछूत नहीं होती कभी भक्ति।।
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स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।
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