नमस्ते। वणक्कम।।
भक्त भक्ति से भगवान शोभित।।
भक्त न फूलों की माला पहनाता,
हीरे मुकुट दान में न देता,
पुष्प किरीट न बनवाता,
पत्थर की सुंदर मुस्कुरा हट की
मूर्त्ति छैनी से मारकर सुंदर रूप न देता तो भगवान की शोभा कैसे?
मिट्टी में गढ़ी मूर्त्ति भक्त के सपने में न आती तो भगवान की
महिमा और शोभा
कैसे चालू होता ।।
भक्त कवियों के कीर्तन बिना
कैसे यशोगान करते?
भक्त की तपस्या और वर के बिना
भगवान की विशिष्टता कैसे?
भक्त की अमीरी,रोग,पद, अधिकार
उत्थान पतन के बिना,
भक्त के संतान,नि: संतान के बिना
भगवान की महिमा कैसे?
वीर ,वीर का पुत्र कायर,
मूर्ख कालीदास महाकवि,
डाकू रत्नाकर वाल्मीकि,
पत्नी दास तुलसी राम भक्त चंद्रमा,
सूरदास अंधे पर
कृष्णलीला
के वर्णन पटु।।
हरे राम हरे कृष्ण के यज्ञ बिना
देश विदेश में कृष्ण की महिमा कैसे?
अगजग में बगैर भक्त के
भक्त गुरु के भगवान से
साक्षात्कार कैसे?
थोड़े में कबीर ने कहा
जो चिर स्मरणीय,चिर अनुकरणीय।।
आप सब को भी, पढ़िए--
गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागो पाय।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद
दियो बताय।।
सबहिं नचावत राम गोसाईं।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।
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