पुरुषार्थ प्रेमियों को ही प्राप्त,
कैसे प्रेमी? सोचा?
नर-नारी प्रेमी-प्रेमिका नहीं,
नारायण के प्रेमी को।।
धन लालचियों का नहीं,
दानी परोपकारी को।
नारायण का प्रेमी,
हिरण्यकश्यप को नहीं,
प्रहलाद जैसे अटल भक्तों को,
कृत्रिम पुरुषार्थ दिखावा मात्र।
असली-नकली पुरुषार्थ उनमें हैं जो
मैदान में कूदते हैं।
ऐसे लोगों में नहीं,
मैं डूबन डरी रही किनारे बैठ।।
प्रहलाद पर हाथी तब भी नारायण।
आग में डाला तब भी नारायण।
पत्थर बांध समुद्र में डाला ,
तब भी नारायण।
जबरदस्ती से विष पिलाया तब भी नारायण।।
अब पांच सौ रुपए दल बदल वोट।।
नोट दिखाओ अंक,
नोट के बल गवाह बदल।
पद के लिए दल बदल।
मजदूरी सेना, आत्महत्या सेना।।
हत्यारे लाली क्लर्क चालक।।
पैसे मिलें तो सही,आज नारायण,
कल अल्ला, परसों ईसा।
खाना भले ही अश्लील हो
गाने तैयार।
जैसे ही धनी बनो,
यम लेने तैयार।।
किसी में नहीं पुरुषार्थ।।
जितना प्रहलाद में अचल था।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नई।
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