Friday, November 20, 2020

राजनीति के साथ रहें सुनीति

 राजनीति के साथ रहें सुनीति।

राजनीति के साथ सुनीति न हो तो

देशोन्नति कैसी?

असुरों का शासन,

विदेशी आक्रमण,

विदेशी शासन

गुलामी जीवन,

भारतीय अवतार पुरुष ,

युग पुरुष जाग उठे।।

क्रांतियां जाग उठी।

सुप्त जनता जाग उठी।

  जगाने लगे।।

ऐसी राजनैतिक क्रांति यां

नरम दल गर्म दल 

राजनीति  के साथ सुनीति रही।।

आजादी के बाद सत्तर साल के

स्वदेशी शासन में   यह नारा

"राजनीति के साथ सुनीति रहें"!

बिहार के चुनाव में नोटो ज़्यादा।।

भिन्न नीति नेताओं के साथ घुट बंधन।।

पहले दिन के भ्रष्टाचारी नेता,

दूसरे दिन  के सत्याचार के श्रेष्ठ नेता।।

परसों अयोग्य नेता।।

महाराष्ट्र केकुनीति राजनीति,

कम संख्या के दल केनेता

पद के लिए अपने

 दुश्मन दल से जुड़ना।।

 आज के सच्चे देशभक्तों का नारा--"राजनीति के साथ रहे सुनीति"!

,स्वचिंतक स्वरचित कविता

अनंतकृष्णन, चेन्नै।।

No comments:

Post a Comment