Sunday, November 29, 2020

साहित्य

 नमस्ते। वणक्कम।

स्वैच्छिक विषय।।
अपनी भाषा अपनी शैली।
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साहित्य तो ऐसा,जिससे समाज में भला हो।
आजकल तो समाज रीतिकाल में।
भ्रष्टाचार रिश्वत पढ़ें लिखे लोग,
अपराधियों को छुड़ाने,
90लाख रपये के वकील,
अपराधी भी मर गया,
वकील भी मर गया।।
संपत्ति करोड़ों की ,
पर भोगने मंत्री नहीं।
महाराजा ने महल बनवाया।।
अंगरक्षक ने ही राजा की जान ली।।
नश्वर जगत में साहित्य कारों का फर्ज।
युवकों को सतपथ दिखाना।
संयम सिखाना, जितेन्द्र बनाना।।
बद साहित्य बदनाम ही नहीं
समाज देश बिगाड़ने वाले साहित्यकार
अति कंसर्ट नरक भोगेंगे ही।।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै।।

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