Wednesday, May 31, 2023

संयम

 प्रातःकालीन प्रणाम. 

इनिय कालै  वणक्कम. 

 हमारे मन में चाहिए  संयम. 

इच्छा शक्ति चाहिए. 

ईश्वर भक्ति चाहिए. 

ज्ञान  शक्ति चाहिए 

क्रिया शक्ति चाहिए. 

तीनों  शक्तियाँ प्रदान करने

ईश्वरीय अनुग्रह चाहिए. 

तब तो  हमें क्या करना चाहिए 

ईश्वर  पर भरोसा चाहिए. 

मंत्र तंत्र नहीं जानते, 

ऐसा  सोच नहीं चाहिए. 

 केवल सदाचार संयम  का बल, 

ईश्वर के नाम जपना 

मनोकामनाएँ पूरी होने का सरल मार्ग. 

बोलो भजो जपो ध्यान में लगो. 

 ऊँ गणेशाय नमः ऊँ कार्तिकेयाय नमः ऊँ नमः शिवाय ओम दुर्गायै नमः. 

जपो जपो हमेशा,  

मन लगाओ,काम में लगो

सत्य कर्तव्य पालन, सदाचार 

नाम जपो

 पाओवाँछित फल. 

तजो लौकिक इच्छाएँ. 

अलौकिक  चाहें में  मन लगा. 

सपरिवार  जिओ. 

विषय वासना से दूर रहना. 

जपो जपो जपो 

,ऊँ गणेशाय नमः ऊँ कार्तिकेयाय नमः ऊँ नमः शिवाय ओम दुर्गायै नमः

संयम

 प्रातःकालीन प्रणाम. 

संयम्

इनिय कालै  वणक्कम. 

 हमारे मन में चाहिए  संयम. 

इच्छा शक्ति चाहिए. 

ईश्वर भक्ति चाहिए. 

ज्ञान  शक्ति चाहिए 

क्रिया शक्ति चाहिए. 

तीनों  शक्तियाँ प्रदान करने

ईश्वरीय अनुग्रह चाहिए. 

तब तो  हमें क्या करना चाहिए 

ईश्वर  पर भरोसा चाहिए. 

मंत्र तंत्र नहीं जानते, 

ऐसा  सोच नहीं चाहिए. 

 केवल सदाचार संयम  का बल, 

ईश्वर के नाम जपना 

मनोकामनाएँ पूरी होने का सरल मार्ग. 

बोलो भजो जपो ध्यान में लगो. 

 ऊँ गणेशाय नमः ऊँ कार्तिकेयाय नमः ऊँ नमः शिवाय ओम दुर्गायै नमः. 

जपो जपो हमेशा,  

मन लगाओ,काम में लगो

सत्य कर्तव्य पालन, सदाचार 

नाम जपो

 पाओवाँछित फल. 

तजो लौकिक इच्छाएँ. 

अलौकिक  चाहें में  मन लगा. 

सपरिवार  जिओ. 

विषय वासना से दूर रहना. 

जपो जपो जपो 

,ऊँ गणेशाय नमः ऊँ कार्तिकेयाय नमः ऊँ नमः शिवाय ओम दुर्गायै नमः

संकट

 भगवान एक 

किंवदंतियाँ  अनेक।

नहीं  सत्य,नहीं  ईश्वर  

नहीं  सच्चे नही अच्छे कहना 

बडी मूर्खता है ।

जग अच्छा, जग स्वर्ग, 

जगन्नाथ  अति श्रेष्ठ ।

मानव बुद्धि 

 जब सांसारिक  होता है, 

तब दुख ही दुख मान।

स्वार्थ  ज्ञान मजहबी 

तोड़ता मानव मन।

मानसिक द्वंद्व 

कट्टर मजहबी

असंतोष अशांत,अहिंसात्मक 

हिंसात्मक  ,आदमखोर पशु तुल्य मन।

 इसीलिए  संसार में है संकट।

स्वरचित

 स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

कामनाएँ

 कामनाएँ मानव को अधिक।

करोड़पति भले ही हो,

वांछित फल मिलेगा क्या?

अंगरक्षक ही जान का 

खतरा है तो प्रधानमंत्री  कि

पद भी नहीं सुरक्षा।

जिह्वा तो बावरी,

शब्द निकलना भी

 ईश्वरीय वरदान जान।

भूलोक में ईश्वरावतार में भी

 छल  कपट।

अश्वत्थामा ऊँची आवाज।

कुंजर: धीमी।।

सोचो विचारों,

वेदों के ज्ञाता,

रावण जिसने अंतड़ियाँ 

 खींचकर तपस्या की,

उसकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो जाती।।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।

 एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै ।

Sunday, May 28, 2023

दिलासा।

 [28/05, 11:53 am] sanantha 50: नमस्ते ।वणक्कम्।

   दिलासा।

दिल में आशा की सिंचाई,

दिलासा देना कहो,

सांतवना  देना कहो,

सहनशीलता   की बात कहो,

धीरज बंधाओ, साहस दो।

प्रेरित करो, प्रोत्साहित  करो।

अन्यों को सुब्रता दिलाना,देना,दिलवाना

दिल वाले का काम।।

दिलासा में व्यंग्य  बात!

दिलासा में हँसी उडाना,

दिलासा में क्रोधित करना,

सांतवना शांति देने,

भूचाल के लिए नहीं।।

पाप का दंड मिलेगा ही।

यह भी सांतवना या भय दिखाना।

अपना अपना भाग्य , विधि की विडंबना, भाग्य का खेल,

पूर्वजन्म या कर्म फल का दंड

यह सांतवना या  निष्क्रिय बताना

 सोचो, समझो, विचारो

कबहिं मचावत राम गोसाई।।

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक 

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई, 

तमिलनाडु  का हिंदी प्रेमी प्रचारक ।

[28/05, 4:04 pm] sanantha 50: है नमस्ते।

कुश मंच में खुशी से,

कुछ मन के विचारों

कुछ मन की सोच।

देश हित, जवान हित

 संयम की बात।

जितेंद्र की बात।

सनातन धर्म की सीख के विपरीत 

 विदेशी शासकों की देन तलाक।।

 काम प्रधान, संयम अप्रधान ।।

नतीजा बढ रहे हैं तलाक के मुकद्दमें।

डैवर्स तलाक भारतीय 

भाषाओं में है नहीं।

 कितने बच्चों मेंमानसिक तनाव।।

ऋष्यश्रुंग के देश में 

संयम हीन बलात्कार की खबरें.

  संयम सिखाना है युवकों को

करना है अच्छी चालचलन की क्रांतियां.

स्वरचनाकार स्वचिंतक एस. अनंतकृष्णन  चेन्नै तमिलनाडु

Saturday, May 27, 2023

हिंदी के पक्ष-विपक्ष में तमिलनाडू के विचार -सोच

 हिंदी के पक्ष में  
 १. हिंदी भारत के अधिकांश लोगों से बोली जाती है ।
२. हिंदी संस्कृत की बेटी है । संस्कृत के शब्द  तत्सम और तदभव शब्द भारत भर की भाषाओं में और लिपी रहित बोलियों में 
    लोक गीतों में प्रचलित है ।
३.राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गाँधीजी ने अपने राजैतिक गुरु  गोपालकृष्ण गोखलेे  की सलाह मानकर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा  की  स्थापना ,मद्रास में की है ,जिसमें आँध्रा सम्मिलित था । 
४.भारत भर के साहित्य  में संस्कृत के मूल ग्रंथों का अनुवाद हुआ है । विदेशों के आगमन के पहले भारत की संपर्क भाषा संस्कृत थी ।
५. आ सेतु हिमाचल के आध्यात्मिक लोक में  संस्कृत ही प्रधान है ।
६.उत्तर भारत  की यात्रा के लिए ,व्यापारिक संपर्क के लिए हिंदी आवश्यक है ।
७.हिंदी की देवनागरी लिपी संस्कृत,मराठी,नेपाली,प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं की  लिपी है ।
८.हिंदी विश्व की तीसरी बडी भाषा है।
 ९.हिंदी के प्रति प्रेम बढाने में  चित्रपट जगत का अपना विशिष्ट  महत्व है । हिंदी विरोधी भी हिंदी चित्रपट गीत गुनगुनाने लगे।
१०.यातायात की सुविधाएँ  बढते -बढते  अब तमिलनाडू के लोग  हिंदी की आचश्यक्ता समझ रहे हैं ।

     हिंदी के विरोध में  तमिलभाषियों  के   विचार ---
१.हिंदी सरलतम भाषा है , हिंदी दिल्ली में दो महीने रहने पर बोल सकते हैं । पर हिंदी को पाठशालाओं में अनिवार्य  रूप में सीखने तैयार नहीं होते । हिंदी को राजभाषा और राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार करने तैयार नहीं होेते ।
२.हिंदी विरोध का आंदोलन १९३७ से  आज तक चल रहा है ।
३. हिंदी कौ स्कूलों में,केंद्र सरकार के कार्यालयों में जब जब अनिवार्य बनाने का कदम उठाते हैं,तब तब बहुत बडा आंदोलन हूए हैं ।
४. कई लोग हिदी विरोध आंदोलन के समय अपने को जिंदा जलाकर प्राण त्याग कर चुके हैं ।
५. आकाशवाणी शब्द  को तमिल में वानोलि  कहने के लिए भी तमिल प्रेमी प्राण त्याग चुके हैं ।
६. हिंदी विरोध में प्रांत के बडे बडे नेता एक हो जाते हैं। 
७.शुदध तमिल  नाम रखने  और लिखने के आंदोलन में  सूर्य नारायणम शास्त्री  ने अपने नाम को परितिमार्कलैज्ञर बदल दिया ।
८.वेदचलम् पिल्लै नामक तमिल के बडे विद्वान ने अपने नाम को  मरैमलै अडिकल बदल  दिया ।
९.हिंदी विरोध आंदोलन के बाद  कांग्रस तमिलनाडू में चुनाव जीत न सका ।
१०.   स्वर्गीय मुख्य मंत्री  जयललिता ने कहा कि हिंदी के विरोध  में द्रमुक दल और अण्णा द्रमुक दल दोनों  एक होकर दुनाली बंदूक बन जाएँगे ।


 

Thursday, May 25, 2023

देवनागरी लिपि और हिंदी के पक्ष-विपक्ष में तमिलनाडू

 देवनागरी लिपि और हिंदी के पक्ष-विपक्ष में तमिलनाडू

            मेरा जन्म आजाद भार में १९५० में तमिलनाडू में मदुरै जिला के पलनी शहर में हुआ।1960 में दस साल का 
लडका था । मेरे दादा महात्मा गाँधीजी के तीव्र अनुयायी थे । काका राजाजी के भक्त थे । नाना के परिवार में स्वतंत्रता संग्राम के त्यागी थे । बच्चों में संस्कार पहले घरवालों से बाद को समाज से बनता है ।तब से आज तक 
देवनागरी और हिंदी के पक्ष-विपक्ष और तमिलनाडू की मनोदशा की परिस्थिति पर अपने दायरे से शुरु करता हूँ।

देवनागरीलिपि और तमिलनाडू ---
    देवनागरी लिपि देव से संबंधित है । मेरे नाना तमिल और संस्कृत के विद्वान थे । मेरे दादा के परिवार में लक्ष्मी की कृपा थी,पर धन के घमंड से शिक्षा पर ध्यान नहीं े था । परिणाम  मेरा बचपन गरीबी में बीता । मेरे नाना संस्कृत को 
देवनागरी लिपि में न सीखी, ग्रंथ लिपि में। पर दवनागरी लिपि जानते थे ।
 यहाँ के पुजारी,पंडित वेद मंत्र को श्रवण से सीखा ।तमिल की लिपी से ही पढते थे। सहस्रनाम ,अष्टोत्र,शादी के मंत्र,
वैवाहिक मंत्र  तमिल लिपि के ग्रंथों से। आज भी यहाँ के  अधिकांश पुरोहितों में  देवनागरी लिपी का ज्ञान नहीं था ।
यही वास्तविक हालत है ।  क,ख,ग, घ ,ड.--क१ क२  क ३ क ४  इन चारों का उच्चारण श्रवण से ही जानते हैं ।
 यहाँ की महिलाएँ  ललिता सहस्रनाम,विष्णु सहस्रनाम,नारायणीयम जैसे  ग्रंथों को भी तमिल लिपी नें ही खीखती हैं,
सिखाती हैं । देवनागरी लिपी के द्वारा सीखने और सिखाने वाले की जानकारी नहीं है ।
      दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की परीक्षा के छात्र ही देवनागरी लिपि सीखते हैं । वे भी कालेज की पढाई  के बाद  भूल जाते हैं । तकनिकी कालेज ,मेडिकल कालेज के उच्च आमदनी जीविकोपार्जन में देनागरी लिपी का संबंध 
बिलकुल नहीं है. 
 यह लेख तमिलनाडू के वास्तविक स्थिति की जानकारी के लिए । दक्षिण भारत की हिंदी प्रचार सभा में तमिलनाडू में हिंदी प्रचार के लिए स्थाई प्रचारक नहीं है । वहाँ के प्रमाणित प्रचारक सौ रुपये के चंदा से बनते हैं । कई प्रमाणित प्रचारक चुनाव में वोट डालने के लिए  बनते हैं,बनाये जाते हैं । 
  मेट्रिक स्कूल,सीबीएससी ,ऐसीएस सी स्कूलों में नौकरी की संभावाएँ हैं । अव तमिलनाडू में बगैर हिंदी के
 सीबीएस सी स्कूल  आनेवाले हैं। आ चुकी है। ऐसी खबरें आ रही हैं ।
  आम जनता में हिंदी प्रचार के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा , चेन्नै एक भी पैसा खर्च नहीं करती।
 श्री स्वर्गीय हिंदी सेवी सभा के कारयकारणी अथ्यक्ष पार्थसारथी के निबंध के अनुसार  घर की महिलाएँ,विधवाएँ 
अतिरिक्त खर्च के  लिए हिंदी के प्रचार प्रसार में लगी रहती हैं ।
  सभा में वृद्ध प्रचारक का सम्मान प्रचारक जिनको सम्मान देना था,उनसे वसूल करती है।
 उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के लिए बहुत खर्च कर रहे हैं,जिसमें अधिकांश उत्तर भरत आंध्रा के छात्र हैं.
  यही तमिलनाडू में नागरी लिपि की वास्तविक स्थिति हैं ।