Saturday, May 27, 2023

हिंदी के पक्ष-विपक्ष में तमिलनाडू के विचार -सोच

 हिंदी के पक्ष में  
 १. हिंदी भारत के अधिकांश लोगों से बोली जाती है ।
२. हिंदी संस्कृत की बेटी है । संस्कृत के शब्द  तत्सम और तदभव शब्द भारत भर की भाषाओं में और लिपी रहित बोलियों में 
    लोक गीतों में प्रचलित है ।
३.राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गाँधीजी ने अपने राजैतिक गुरु  गोपालकृष्ण गोखलेे  की सलाह मानकर दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा  की  स्थापना ,मद्रास में की है ,जिसमें आँध्रा सम्मिलित था । 
४.भारत भर के साहित्य  में संस्कृत के मूल ग्रंथों का अनुवाद हुआ है । विदेशों के आगमन के पहले भारत की संपर्क भाषा संस्कृत थी ।
५. आ सेतु हिमाचल के आध्यात्मिक लोक में  संस्कृत ही प्रधान है ।
६.उत्तर भारत  की यात्रा के लिए ,व्यापारिक संपर्क के लिए हिंदी आवश्यक है ।
७.हिंदी की देवनागरी लिपी संस्कृत,मराठी,नेपाली,प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं की  लिपी है ।
८.हिंदी विश्व की तीसरी बडी भाषा है।
 ९.हिंदी के प्रति प्रेम बढाने में  चित्रपट जगत का अपना विशिष्ट  महत्व है । हिंदी विरोधी भी हिंदी चित्रपट गीत गुनगुनाने लगे।
१०.यातायात की सुविधाएँ  बढते -बढते  अब तमिलनाडू के लोग  हिंदी की आचश्यक्ता समझ रहे हैं ।

     हिंदी के विरोध में  तमिलभाषियों  के   विचार ---
१.हिंदी सरलतम भाषा है , हिंदी दिल्ली में दो महीने रहने पर बोल सकते हैं । पर हिंदी को पाठशालाओं में अनिवार्य  रूप में सीखने तैयार नहीं होते । हिंदी को राजभाषा और राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार करने तैयार नहीं होेते ।
२.हिंदी विरोध का आंदोलन १९३७ से  आज तक चल रहा है ।
३. हिंदी कौ स्कूलों में,केंद्र सरकार के कार्यालयों में जब जब अनिवार्य बनाने का कदम उठाते हैं,तब तब बहुत बडा आंदोलन हूए हैं ।
४. कई लोग हिदी विरोध आंदोलन के समय अपने को जिंदा जलाकर प्राण त्याग कर चुके हैं ।
५. आकाशवाणी शब्द  को तमिल में वानोलि  कहने के लिए भी तमिल प्रेमी प्राण त्याग चुके हैं ।
६. हिंदी विरोध में प्रांत के बडे बडे नेता एक हो जाते हैं। 
७.शुदध तमिल  नाम रखने  और लिखने के आंदोलन में  सूर्य नारायणम शास्त्री  ने अपने नाम को परितिमार्कलैज्ञर बदल दिया ।
८.वेदचलम् पिल्लै नामक तमिल के बडे विद्वान ने अपने नाम को  मरैमलै अडिकल बदल  दिया ।
९.हिंदी विरोध आंदोलन के बाद  कांग्रस तमिलनाडू में चुनाव जीत न सका ।
१०.   स्वर्गीय मुख्य मंत्री  जयललिता ने कहा कि हिंदी के विरोध  में द्रमुक दल और अण्णा द्रमुक दल दोनों  एक होकर दुनाली बंदूक बन जाएँगे ।


 

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