खुुद को बरबाद करना
खुदा को भूलनेे में।
जन्नत और जहन्नुम
तकदीर और तदबीर
खुदा की मेहरबानी।
ख्वाब का साकार
खुदा के इबादत से।
किस्मत आ जमाना है तो
खुमार से नहीं,
खुमार ऐसा हो
नशीली वस्तुओं से नहीं,
खुदा के बंदे बनने में।।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई ।
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक ।
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