Wednesday, May 17, 2023

पा गल

 असमंजस में पडना  .

दुविधा, धर्म संकट

 चंद्र शेखर जी के प्रभाव के कारण

 मैं पड गया असमंजस में.

  भक्त कवि अभिराम भट्टर,

 अमावश्य के दिन,

 ध्यान  मग्न कैफे थे.

 राजा के पूछने पर

ईश्वरी के ध्यान में  ही 

कह दिया --"आज पूर्णिमा " है.

राजा तो  कहा -"चाँद दिखाओ."!

अभिरामी देवी के यशोगान 

कवि करते रहे, 

देवी तो भक्तवत्सला है,

 अपनी नक बेसरी फेंक,

चाँद दिखाया.

असमंजसता  कवि की भगादी.

  आजकल अवकाश  के बाद

 न्यायाधीश  कहता है,

 मैने कई बार

असमंजस  में  पडकर

गलत फैसला सुनाया है.

   यही आजकल सभी

 विभागों में  हो रहा है

अर्थात धर्मसंकट/दुविधा/असमंजस.

 धन कालोभ, पद का लोभ, मंत्री का भय,परिवार मोह,

अपने अपने दल की सुरक्षा. 

  अपना स्वार्थ,  तबादला का आतंक.

 मानव  असमंजस  में पड जाता है.

न्याय का गला दबा देता है.

एस.अनंतकृष्णन, 

स्वरचनाकार स्वचिंतक. 






 


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