ऊपरवाले जाति भेद नहीं देखता । काम जाति नहीं देखता । तमिल गाा है - रात्री में शास्त्र नही । सोचा राहू काल यमकंड रात्री में नहींं । ज्ञानी विदुर का जन्म हुआ। नौकरानी द्वारा ।इंदिरा खान इंदिरा गाँधी-(बनिया) बनगया। खान वंश गाँधी वंश बनगया। राजव वंश ईसाई बन गया । भारत में अंतर्राष्ट्रीय खून चंद्रगुपत के यूनानी मिलन से हो गया । वसुधैव कुटुंबकम् सार्थक हो गया । अतः हममें सहनशीलता है । भारत धर्म निरपेक्षिय राज्य है। पर मंदिर के लिए यूनिट रुपये आठ। मसजिद -चर्च केलिए कम. जय संविधान के सामने भेद भाव की।
Monday, July 31, 2023
संविधान
Saturday, July 29, 2023
KADUM VIMARSANANGAL. VISHNU वडकलै या तेंकलै?
KADUM VIMARSANANGAL. VISHNU वडकलै या तेंकलै?
Friday, July 28, 2023
भाग्य परिश्रम ईश्वर अन्योन्याश्रित।
नमस्ते वणक्कम।
मानव का जन्म ही
भाग्य पर निर्भर।
अमीर के यहाँ जन्म।
गरीब के तहाँ जन्म।
उद्योग पति के यहाँ जन्म।
मजदूर के यहाँ जन्म।
भिखारिन के यहाँ जन्म।
स्वस्थ शरीर। अस्वस्थ शरीर।
बहरा,गूंगा,अंधा,
प्रतिभाशाली,औसत,मंद बुद्धि।।
कर्मफल या भाग्य पर निर्भर।।
संगीत का मधुर स्वर
अभ्यास से नहीं मिलता।
अभिनय कला,चित्रकला
प्रयत्न से नहीं,भाग्य पर ही नहीं,
ईश्वरीय वरदान।।
नायक,नेता बनने के प्रयत्न में
भाग्य रेखा, ईश्वरीय शक्ति
अत्यंत आवश्यक।।
देखा,समझा, अनुभव किया।
पता चला भाग्य, प्रयत्न,ईश्वर
तीनों ही अनयोन्याश्रित।।
भिखारिन का मधुर स्वर,
बड़े संगीतज्ञ के छात्र को नहीं।
अर्जुन का भाग्य
एकलव्य को नहीं।
कुंती के पुत्र में कर्ण अभागा।।
यह ईश्वरीय शक्ति की सूक्ष्मता।
रावण की बूद्धइ का भ्रष्ट होना
पढ़ा,देखा,समझा
निष्कर्ष पर पहुँचा
भाग्य, परिश्रम, ईश्वर तीनों ही
अन्योन्याश्रित।।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
Sunday, July 23, 2023
अशाश्वत
सोचना मेरा काम है,
विचारों की अभिव्यक्ति मेरी मानसिक चेतना है।
पसंद या नापसंद
पाठकों के ज्ञान पर,
विचार पर सोच पर निर्भर है।
स्वार्थ -निस्वार्थ
सद्यःफल प्राप्त
मानव को पक्षधर,
निष्पक्ष,
तटस्थ
बना लेता है।
सत्य बोलो -सब मानते हैं।
सद्यःफल,पक्ष वाद ,
एक तो चुप हो जाता है।
भय, लोभ घेर लेता है।
सत्य बोलने से कतराते हैं।
भ्रष्टाचार जानकर भी चुप।
हरिश्चंद्र भी नहीं,
हिरण्यकश्यप भी नहीं।
सिकंदर भी नहीं,
पुरुषोत्तम भी नहीं
आंभी भी नहीं।
नश्वर दुनिया।
कोई भी भूलोक में
शाश्वत नहीं है।
Wednesday, July 19, 2023
जग में जीना,जग में जीना,
जग में जीना,जग में जीना,
जगन्नाथ का अनुग्रह।।हमारी चाहें अपने आप
पूरी होती।
कोशिशें भी
ईश्वरानुग्रह के बगैर
कामयाबी दुर्लभ।
यही मेरा अनुभव।।
सद्यःफल धनाधार।।
स्थाई फल ईश्वरीय अनुकंपा।।
मैंने दूसरे को चुना।
मनोकामना पूरी होती
ज़रा विलंब ही सही।
वह स्थाई और संतोषजनक।।
ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ ॐॐ
Sunday, July 16, 2023
हिंदी खर्च बेकार
नमस्ते नमस्ते वणक्कम।
मानव दुखी क्यों?
दुखी ?!!!
ईश्वर की सहज देन से संतुष्ट नहीं।
लौकिक सुख भोगने धन प्रधान।
धनियों में बड़ा धनी,
अति आनंद से जी रहा है।
सांसारिक सभी सुखों का भागीदार है।
ऐसी माया मानव मन में छा जाता है।
तुरत पैसा मिलना है।
जिस स्थान से जुड़े हैं
उससे नाम लेना है।
सद्यःफल शाश्वत फल नहीं है।
आजकल सम्मान ,माला,पदक, प्रमाण पत्र का लोभ दिखाकर
कमाने और अपनों को महान
दिखाने के लिए पंजीकरण शुल्क।
कविता कहानी,शोध ग्रंथ लिखो,
कवि सम्मेलन में भाग लो।
पंजीकरण शुल्क,सदस्यता शुल्क भरो।
ठीक है अर्थ नहीं तो जीवन अनर्थ।
ऐसे देश भक्त,भाषा भक्त,
ऐसी संस्धशथाएँ क्यों न सोचती,
करोड़ों करोड़ चुनाव में
खर्च करनेवाले राजनैतिक दल,
चुनाव में जीतने रिश्वत मतदाताओं को देनेवाले राजनैतिक दल,
क्यों भारतीय भाषाओं की प्रगति के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं करते।
विश्वविद्यालयों की बढ़ती देखते हैं, परिणाम भारतीय भाषाएंँ
जीविकोपार्जन के लिए लायक नहीं।
आज़ादी के पच्हत्तर साल में
घर घर, गली गली गाँव गाँव
अंग्रेज़ी माध्यम के विकास।
कारण धन लाभ।
साक्स, शू,टै व्यापार जो
हमारे भारत की जलवायु के लिए
अनुचित है, स्वास्थ्य बिगाड़ने का कारण।
शिथिल वस्त्र नहीं, कारण
सद्यःफल देनेवाला कमिशन।
पैसे प्रधान है तो अनुशासन प्रधान है कि नहीं।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की छात्र संख्या बढ़ती हैं तो
अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों के कारण।
आजकल सरकार मधुशालाएँ ही
आमदनी का प्रमुख संसाधन मानकर खोल रही है।
वास्तव में यह बड़ा अन्याय है।
सरकार की आमदनी कइयों के
जीवन में गरीबी आती है तो
वह आमदनी बाढ़, सुनामी, अकाल, संक्रामक रोग, विष शराब की मृत्यु ऐसा ही होता है।
पानी के पैसे पानी में,दूध के पैसे ही सही उपयोग में।
हिंदी के विकास के लिए
करोड़ों के खर्च।
पर हिंदी विरोध के कारण जानकर दूर करने,
हिंदी के प्रति प्रेम बढ़ाने के बदले
अल्पसंख्या के लिए खर्च कर रही है।
परिणाम दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की प्रमुख आमदनी
अंग्रेज़ी माध्यम का स्कूल।
मातृभाषा माध्यम बंद।
निजी सीबीएस सी स्कूल में
अध्यापक बेगार।
सरकारी स्कूलों में अध्यापक की नियुक्ति।
पर मनमाना छुट्टी लेने अध्यापक को अधिकार।
हिंदी के विकास के लिए खर्च बेकार।
क्यों तमिलनाडु के भाषा विरोध
कर्नाटक में भी गूंजने लगा है।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय है,
वहाँ विश्वविद्यालय के डाक्ट्रेट को ही करोड़ों खर्च करने की योजना है।
आम जनता में लाखों के हिंदी प्रेमी उत्पन्न करनेवाले
सभा की उपाधि धारों की आर्थिक दशा की प्रगति करने ,
केवल हिंदी के आधार पर जीने देने कोई योजना नहीं।
कारण तमिलनाडु की जनता हिंदी विरोध करती है।
जनता नहीं, प्रांतीय दल।
सांसद में कांग्रेस के समर्थन के लिए प्रांतीय दलों के विकास में साथ देना।
राष्ट्रीय शिक्षा का विरोध, हिंदी का विरोध।
अब थोड़े दिनों में तमिल भाषा के प्रति नफ़रत बढ़ेगी। केवल अंग्रेज़ी। न तो हिंदी ही आएगी।
हिंदीवाले दक्षिण के हिंदी को नहीं चाहते।
विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषियों की नियुक्ति होती हैं।
अधिकांश हिंदी प्राध्यापकों की मातृभाषा तमिल नहीं है।
सभा के उच्च शिक्षा विभाग में भी यही हालत है।
जब अंग्रेज़ी भाषा के लिए
भारतीयों में योग्यता है तब भारतीयों में हिंदी भाषा में योग्यता क्यों नहीं।
हमारे देश की राजनीति संस्कृत को दूर रखी। अब भारतीय भाषाओं के विकास में ध्यान न देती।
केवल तमिल माध्यम ही तमिलनाडु सरकार की नियुक्ति के लिए काफी है, ऐसा प्रस्ताव लेना चाहिए। ऐसे हर एक प्रांत में।
वैसे ही केंद्र सरकार केवल हिंदी में और भारतीय भाषाओं में प्रतियोगिता परीक्षाएं चलानी चाहिए।
अंग्रेज़ी माध्यम चलाने की अनुमति रद्द कर देनी चाहिए।
नहीं तो हिंदी ही के विकास के करोड़ों रुपयों का खर्च हिंदी विरोध को बढ़ाएगा ही।
1937ई. से हिंदी विरोध तमिलनाडु में।
आज़ादी के पच्हत्तर साल के बाद भी बढ़ रहा है,यही खेद की बात है।
Saturday, July 15, 2023
मनोवेग
नमस्ते। वणक्कम्.
मन अति चंचल,
मनोवेग पहाड को
राई बनाएगा ।
राई को पहाड ।
चंचल मनोवेग,
कल्पना का घोडा,
उद्धि की गहराइयों में,
ऊँचे आसमान पर,
उत्तुंग शिखर पर ,
तेज चलेगा ।
नायक बनेगा,
खल नायक बनेगा.
निदेशक बनेगा,
जादूगर बनेगा ।
मंत्रवादी बनेगा,
ऋषि बनेगा ।
सन्यासी साधु संत बनेगा।
महाराजा बनेगा,
उपन्यास सम्राट बनेगा ।
वीर बनेगा,
कायर बनेगा ।
वीरंगना ,
वारांगना बनेगा ।
त्यागी बनेगा,
भोगी बनेगा ।
हवा महल बनाएगा ।
मन की कल्पना ,
मानव की अभिलाषा,
काल्पनिक सपना,
साकार होगा या निराकार,
चंचल मन लक्ष्य उपलक्ष्य के पीछे
दैडेगा,भागेगा,भोगेगा नहीं ।
चंचल मन मान भंग करेगा.
संयम् खोकर मान मर्यादा खो बैठेगा ।
जो मन को जीतेगा,महान बनेगा ।
काम,क्रोध,मद,लोभ से बचेगा ।
ज्ञानी बनेगा, बुद्ध बनेगा ।
युग युगों तक चमकता रहेगा ।
जितेंद्र बनेगा,संसार जीतेगा ।
एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै.
स्वचिंतक,स्वरचनाकार,सौहार्द सम्मान सम्मानकार,
तमिलनाडू का हिंदी प्रेमी,प्रचारक.