Saturday, July 15, 2023

मनोवेग

 नमस्ते। वणक्कम्.

मन  अति चंचल, 

मनोवेग पहाड को 

राई बनाएगा ।

राई को पहाड ।

चंचल मनोवेग,

कल्पना का घोडा,

उद्धि की गहराइयों में,

ऊँचे आसमान पर,

उत्तुंग शिखर पर ,

तेज चलेगा ।

नायक बनेगा,

खल नायक बनेगा.

निदेशक बनेगा, 

जादूगर बनेगा ।

मंत्रवादी बनेगा,

ऋषि बनेगा ।

सन्यासी साधु संत बनेगा।

महाराजा बनेगा, 

उपन्यास सम्राट बनेगा ।

वीर बनेगा,

कायर बनेगा ।

वीरंगना ,

वारांगना बनेगा ।

त्यागी बनेगा,

भोगी बनेगा ।

हवा महल बनाएगा ।

मन की कल्पना ,

मानव की अभिलाषा,

काल्पनिक सपना,

साकार होगा या निराकार,

चंचल मन लक्ष्य उपलक्ष्य के पीछे 

दैडेगा,भागेगा,भोगेगा नहीं ।

चंचल मन मान भंग करेगा.

संयम् खोकर मान मर्यादा खो बैठेगा ।

जो मन को जीतेगा,महान बनेगा ।

काम,क्रोध,मद,लोभ से बचेगा ।

ज्ञानी बनेगा, बुद्ध बनेगा ।

युग युगों तक चमकता रहेगा ।

जितेंद्र बनेगा,संसार जीतेगा ।

एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै.

स्वचिंतक,स्वरचनाकार,सौहार्द सम्मान सम्मानकार,

तमिलनाडू का  हिंदी प्रेमी,प्रचारक.

No comments:

Post a Comment