सादर।
विनम्र।
सविनय।
नमस्ते।
चरण कमल छूकर नमस्कार।
इन नमस्कार में
चम्मचागिरी नमस्कार।
स्वार्थ के लिए।
सार्वजनिक हित के लिए।
आशीषों के लिए।
इन सब में बड़ा नमस्कार
मत के लिए।
पैसे देकर चरण छूकर।
इन राजनैतिक दलों के नमस्कार
एक ही बात हर चुनाव में
पर न उस वचन का पालन।
फिर नये रूप में पेय जल व्यवस्था।
सड़क ,मोरे बनाना।
आज़ादी होकर १५ आम चुनाव।
समस्या न हल।
ऐसे राजनैतिक सलाम
एक अद्भुत कला।
इस में जो पटू वहीं विधायक /सांसद।।
एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।
स्वरचनाकार, स्वचिंतक, अनुवादक।
मानव मन चिंतित,
वह अवश्य भी,
अनावश्य भी।
पालतू कुत्ता मर गया,
पालनहार दुखी।
पड़ोसी के लिए
अनावश्यक।
मेरे गुलाबी पौधा
सूख गया।
मेरे लिए वह सारे
सुखों को ले गया।
दुखी था,
मेरे परिवार के सदस्यों के लिए
अनावश्यक ही।
सब को यह है
अनावश्यक।
आवश्यक क्या?
अनावश्यक क्या?
अपनी अपनी चाहें।
चाह गयी चिंता मिटी मनुआ बेपरवाह।
जाको कछु न चाहिए,
वही शाहँशाह।। कबीर।
यह जक्की वासुदेव के लिए
पसंद नहीं,
उनका कहना सब को चाहो।।
अहं ब्रह्मास्मी शंकर का है तो
आत्मा परमात्मा अलग अलग।
श्री रामानुजाचार्य का।।
जितेंद्रियता भारतीय संतों की बात।
मिठाई खाना आवश्यक।
एक के लिए लड्डू अनावश्यक।
मैंने पूछा-लड्डू नहीं खाते?!!
लड्डू तो अति पसंद।
क्या करूँ, काशी गया,
पंडित ने कहा मन पसंद
खाद्य पदार्थ तजना है।
लड्डू अति मन पसंद।
खाना छोड़ दिया।
यह आवश्यक त्याग या अनावश्यक।
पंडित जी को यही कहना
कि काशी आये हो,
भ्रष्टाचारी छोड़ देने का
शपथ लो।।
रिश्वतखोरी न लेने का शपथ लो।
झूठ बोलना तज दो।
यही मेरे लिए आवश्यक है कसमें।
खाद्य-पदार्थ तजना अनावश्यक।
आवश्यक अनावश्यक
व्यक्ति व्यक्ति में भिन्न भिन्न।।
मेरा लिखना आवश्यक या अनावश्यक
बुद्धि पूर्ण या मूर्खता,
पाठकों को की अपनी अपनी मर्जी।
आवश्यक अनावश्यक
तमिल में अवसियम् अनावसियम् ।
बुद्धि और मूर्खता
तमिल में भी।
यह तुलना आवश्यक या अनावश्यक।
भारतीय एकता समझाने आवश्यक।
भाषा भेद में एकता दिखाना आवश्यक।
एस.अनंतकृष्णन ,
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।
दान तो गुप्त दान होना चाहिए।
यह दान किसके लिए उपयोगी होगा।
कलियुग में बहुत बड़ा पाप निजी संस्थाओं को, निजी मंदिरों को दान देना, भिखारियों को भीख देना एक भ्रष्टाचारी समाज का विकास करना है।
राजनैतिक दलों को दान किसलिए देते हैं?
जयललिता ने सोने का घड़ा दान दिया।
क्या हुआ?
चक्रवर्ती दशरथ ने बड़ा यज्ञ किया। चारों पुत्र उनके नहीं।
पुत्र शोक में मृत्यु।
तीन राजकुमारियों को जबर्दस्त ले आकर विचित्र वीर्य से शादी रचाया। उस भीष्म पितामह का अंत कैसे हुआ।
एकलव्य का अंगूठा कटवाकर द्रोण ने गुरु धर्म तोड़ा छोड़ा।
जिस शिष्य की तरक्की के लिए
अन्याय किया, वही शिष्य निहत्थे गुरु का वध किया।
एकलव्य को अंगूठा ही,
अधर्मी गुरू का सिर अर्जुन द्वारा।
कर्म के कारण देवताओं का नाम कलंक।
भिखारी करोड़पति ।
भिखारिन अचानक जगत प्रिय गायिका।
ईश्वरीय दंड व्यवस्था अति सूक्ष्म।
एस.अनंतकृष्णन,
स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक।
मैं तो साधारण हिंदी अध्यापक।
मालामाल व्यापारी या सांसद विधायक मंत्री नहीं।
अम्मा जयललिता का हवन यज्ञ बेकार।
यही व्यवहारिक बात।
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