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Friday, July 28, 2023

भाग्य परिश्रम ईश्वर अन्योन्याश्रित।

 नमस्ते वणक्कम।

मानव का जन्म ही

भाग्य पर निर्भर।

 अमीर के यहाँ जन्म।

गरीब के तहाँ जन्म।

उद्योग पति के यहाँ जन्म।

मजदूर के यहाँ जन्म।

भिखारिन के यहाँ जन्म।

स्वस्थ शरीर। अस्वस्थ शरीर।

बहरा,गूंगा,अंधा,

 प्रतिभाशाली,औसत,मंद बुद्धि।।

 कर्मफल या भाग्य पर निर्भर।।

 संगीत का मधुर स्वर

 अभ्यास से नहीं मिलता।

 अभिनय कला,चित्रकला 

प्रयत्न से नहीं,भाग्य पर ही नहीं,

ईश्वरीय वरदान।।

नायक,नेता बनने के प्रयत्न में

 भाग्य रेखा, ईश्वरीय शक्ति 

 अत्यंत आवश्यक।।

 देखा,समझा, अनुभव किया।

 पता चला भाग्य, प्रयत्न,ईश्वर 

 तीनों ही अनयोन्याश्रित।।

 भिखारिन का मधुर स्वर,

 बड़े संगीतज्ञ के छात्र को नहीं।

 अर्जुन का भाग्य

 एकलव्य को नहीं।

 कुंती के पुत्र में कर्ण अभागा।।

 यह ईश्वरीय शक्ति की सूक्ष्मता।

 रावण की बूद्धइ का भ्रष्ट होना

  पढ़ा,देखा,समझा 

 निष्कर्ष पर पहुँचा

 भाग्य, परिश्रम, ईश्वर तीनों ही

 अन्योन्याश्रित।।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 

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