Wednesday, July 5, 2023

नागरी लिपि परिषद

 महोदय,

  नागरी लिपि परिषद का आीवन सदस्य डाक्टर  श्रीमती राजलक्ष्मी कृष्णन की  प्रेरणा से बना। 
परिणाम स्वरूप   पहली बार श्री हरिपाल सिंह जी के प्रोत्साहन से  विशाखपट्टणम   की दो दिवसीय संगोष्ठी में पहली बार भाग लेने का स्वर्ण अवसर मिला । पहली बार विषयांतर रहित संगोषठी में भाग लेने का अवसर मिला। 
  अतिथिसत्कार  में आवास,खानपान,मंच सम्मान, प्रति भागियों के नाम लिखित  बोर्ड संयोजकों के श्रद्धा की प्रत्यक्ष झांकी देखी ।
  २६-६-२७ के दिन ठीक ९.३० बजे सबेरे  सबको श्री गोपालजी,राजभाषा प्रशासन सहायक ने आदर पूर्वक यथास्थान बिठाया। 
साढे दस बजे निर्धारित समय पर  स्वागताध्यक्ष श्री ललन कुमार ,राजभाषा महाप्रबंधक ने सरस्वति वंदना केबाद सबका स्वागत भाषण दिया । फिर मुख्य अतिथि श्री अतुल भट्टजी,अध्यक्ष ,सह प्रबंध निदेशक आर.ए.यन.यल ने नागरी लिपि   दो दिवसीय संगोष्ठियों के उद्देश्य और नागरी लिपि के महतव को समझाया।
मान्य अतिथि प्रो.पूर्ण सिंह डबास ,पूर्व आचार्य बीजिंग विश्व विद्यालय .चीन ने चित्रलिपि की तुलना में नागरी लिपि की वैज्ञानिकता बताकर विश्व की सारी भाषाओं को सही उच्चारण सहित लिखने का सामार्थ्य नागरी लिपि में ही है। विशेष अतिथि श्री सुरेश चंद्र पांडे निदेशक ,कार्मिक ने भी संगोषठी के लक्ष्य और राजभाषा के महत्व पर जोर दिया ।श्री हरिसिंह पालजी ,महामंत्री ,नागरी लिपि परिषद ,नई दिल्ली ने  
नागरि लिपि परिषद के उद्देश्य,अगजग में उस लिपि को अपनाने की संभानाओं की राहे बतायी ।  
नागरी लिपि परिषद द्वारा प्रकाशित किताब का लोकार्पण किया ।
 चाय विरम के बाद प्रो.शहाबुद्दीन शेख नियाज ,पूर्व आचार्य,पूणे  विश्व विद्यालय  की अध्यक्षता में डा. कृष्णबाबू ने भारतीय लेखन पद्धति के विककास पर कहा कि बौद्ध धर्म के प्रचार -प्रसार में ब्रह्मी, प्राकृत लिपि के शिलालेख मिलते हैं । कृष्ण बाबू  ने दर्शकों से  अंतर्क्रियाओं से दर्शकों से सवाल करके समझाया । ब्राह्मणों द्वारा नागरीी लिपि  का विकास हुआ ।डा.सी.एच. निर्मला नेवी चिल्ड्रन स्कूल  ब्रह्मी लिपि ,खरोष्टि,प्राकृत ,कुटिल लिपियों का परिचय देकर  नागरी लिपि का महत्व समझाया।
भोजन विराम के बाद   श्री हरिराम पंसारी ,सेवा निवृत्ति राजभाषा अधिकारी,भुवनेश्वर,प्रो.नागनाथ शंकर राव,कर्नाटक,श्री चवाकुल रामकृष्ण राव,दराबद करनाटक नागरी लिपि और तेलंगाना नागरी लिपि के विकास की संभावना पर प्रकाश डाले ।
तीसरा सत्र डाॅ. पूर्ण् सिंह डडबास ,दिल्ली की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी और सांस्कृतिक सध्या  अति रचक ढग से हुई ।इसमें कविगण डा. पुष्पा पालल ,दिल्ली, श्री मोहन द्वि वेदी ,गजियाबाद,श्री जे.एस. यादव,श्रीमती सुधाकुमारी जुही ,विशाखपटटणम ,आदि ने अपने मधुर स्वर में कविता सुनाई ।
इंटर पास,गाँववाले उदासी, जेब भरा है तो सब सकारात्मक मोहन द्विवेदी    की कविताएँ शिक्षा प्रद रही।
२८-६-२३ के द्वितीय दिवस केकार्य-क्रम डाॅ. हरिपाल सिंह,महासचिव,नागरी लिपि परिषद की अध्यक्षता में ठीक नौ बजे प्रारंभ हुआ । अध्यक्षीय भाषण में श्री हरिसिंह पाल ने कहा कि  नागरी लिपि विश्व मान्य लिपि में  परिणत हो रही है। अध्यक्ष  भाषण के बाद श्री प्रभाकर मनोहर दिवेचा जी ,आरईयनयल  ने यूनिकोड के महत्व और प्रयोग की विधियाँ बताई और कहा  ज्ञात भाषा हो या अज्ञात भाषा अंग्रेजी में टंकण करने पर वह उसी भाषा के रूप में  प्रकट होगा ।  यह यूनिकोड की विशेषता है।
फिर श्री गोपालजी ने   अपने वक्तृत्व में कहा कि  हिंदी के विकास में प्रांतीय भाषाओं के तत्सम और तद्भव शब्दों का योगदान है । तमिलनाडु में जो भी आते हैं ,वे तमिल भाषी बन जाते हैं । तिरुक्कुल, तिरिकटुकम्,विवेक चिंतामणि और कई ग्रंथ  जैन मुनियों की देन है । तेलुगु और कन्नड भाषियों के शासन काल में भी तमिल साहित्य समृद्ध बनी । संस्कृत के विरोध दिखानेवाले शासक दल का चिन्ह उदय सूर्य है।
तमिलनाडु  की राजनीति स्वार्थ  है,पर जनता हिंदी पढना चाहती  है।
 चाय विराम के बाद  श्री ललन कुमार ,राजभाषा महाप्रबंधक की अध्यक्षता में पंचम सत्र शुरु हुआ ।प्रशासनिक क्षेत्र में हिंदी प्रयोग, हिंदी पत्रों के जवाब हिंदी में ही देने की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया ।
श्री हरिराम पंसारी ,राजभाषा अधिकरी (सेवा निवृतत)ने कहा कि देवनगी लिपि का  उपयोग दिन दूनी रात चौगुनी   गति से  जटिलता से सरलता की ओर बढ रहा है।     श्री रिजवान पाशा  ,राजभाषा वरिष्ट प्रबंधक 
ने कहा कि राजभाषा कार्यान्वयन अपनी अपनी मानसिकता पर निर्भर है ।
चवाकुल नरसिंह मूर्ति राष्ट्रीय नागरी सम्मान और नकद एक हजार  से नागरी लिपि के सेवक और कविगणोको सम्मानित किया गया ।

अंत में खुला मंच श्री परन डबास की अध्यक्षता में कविगण  डाँ.श्वेतारानी, दिल्ली पब्लिक स्कूल,उक्कुनगरम्, श्रीमती अपराजिता शर्मा ,कवि मोहन द्विवेदी के संगीत महफिल के हर्षोल्लास  और प्रतिभागी प्रमाण पत्र विसर्जन के साथ सभा विसर्जित हुई।
दो दिवसीय कार्यक्रम मे  आन लयन में १३५ प्रतिभागियों ने  भाग  लेकर अपने वक्तव्य  और सेवा निष्ठा का परिचय दिया । 
डाॅ. अनिल शर्मा जोशी ,उपाध्यक्ष हिंदी शिक्षण संस्था,आग्रा ने  अपने व्यस्त कार्य क्रमों के बीच आनलयन में अपने विचारों की अभिव्यक्ति करके  नागरी लिपि और राजभाषा विकास पर प्रकाश डाला।डाॅ.Knlv .श्री कृष्णवेणी जी ,राजभाषा प्रशासन सहायक ने सब को धन्यवाद ज्ञापन प्रकट किया। 

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