Friday, July 14, 2023

ஆசாரக் கோவை---आचार संग्रह - तमिल ग्रंथ

    ஆசாரக் கோவை---आचार संग्रह - तमिल ग्रंथ 
        तमिल संघ  काल  के अंधे काल अर्थात 
 संघ काल के परिवर्थित अंतिम समय में कई ग्रंथों की रचनाएँ लिखी गयी हैं ।
उस समय के ग्रंथों में  कवि  कयत्तूर पेरुवायन्  मुल्लियार रचित 'आचारक्कॊवै' अर्थात "आचार संग्रह"मानव जीवन में मानवता लाने अति श्रेष्‍ठ ग्रंथ है ।इनमें इन्सान में इन्सानियत लाने,इन्सान में ईश्वरत्व लाने के संपूर्ण गुणों का जिक्र किया गया है ।
अच्छी चालचलन और अनुशासन बनाये रखने का मार्गदर्शन मिलता है ।

ஆரோயின்‌ மூன்றுமழித்தானடி யேத்தி யாரிடத்துத்தானறிஈ்தமாத்தரெயானாசாரம்‌ யாருமதியவறனாயமற்றவற்றை யாசாரக்கோவையெனத்தொகுச்தான்றீராத்‌ இருவாயிலாயஇிரல்வண்கயச்‌ நூர்ப்‌ * பெருவாயின்முள்ளியென்பான .

आरोयिन मून्रुमलितंतानडि येत्ति  यारिडत्तुत्तानऱि ईतमात्तरेयानाचारम् 
यारुमतिनायमट्रमट्रवट्रै याचारक्कोवैयेनत्तोकुच्चान्ऱीरात्
तिरुवायिलायतिऱल्वन कयत्तूर्प पेरुवायन मुल्लियेन्बान्।. 

भावार्थ ----ः  भगवान शिव ने शत्रुओं के लिए दुर्लभ तीन दीवारों को (अहंकार,काम,लोभ ) को अपनी हँसी में ही चूर्ण कर दिया ।ऐसे भक्तवत्सल के चरण-कमलों को वंदना करके  आचार संहिता में जितनी बातों का मेरा ज्ञान है,उन सभी को संग्रह करके आचारक्कोवै 
नामक ग्रंथ को एकत्रित करके तिरुवण् कयत्तूर वासी पेरुायन मुल्लियार   ने लिखा है ।
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ग्रंथ कविताएँ --१.

बडों  के द्वारा बताये गये आठ आचरण 
१. दूसरों के द्वारा हमको किए गए उपकार को समझना ,कृतज्ञता से जीना ।
२. दूसरों के द्वारा प्राप्त बुराइयों को  सह लेना  व भूल जाना
३.मधुर सुखप्रद शब्द बोलना  ४.जीवों को बुराई न करना ५.शिक्षा में सुजान की बातें सीख लेना,ज्ञान ग्रहण करना
६.सत्संग में रहना ७.जग व्यवहार के साथ चलना ,परोपकार करना ८.ज्ञान संपत्ति बढाना आदि आठ अच्छे आचरण बढाने के मूल कारण स्वरूप होते हैं ।
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२. अपने आचरण अनुशासन को जो अक्षरसः पालन करते हैं,उनको निम्नलिखित आठ सुख साधन मिल जाते हैं  ----
       १.उच्च भद्र कुल में जन्म लेना २.दीर्घ आयु पाना ३.धनी बनना ४.सुंदर रूप प्राप्त करना ५.भू संपत्तियाँ पाना ६.वाणी की कृपा
७.आदर्श उच्च शिक्षा  ८. नीरोग काया --आदि.
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३. कवि पेरुवायन किल्लियार का कहना है कि बडों को दक्षिणा देना,यज्ञ करना,तप करना,शिक्षा प्राप्त करना आदि सुचारू रूप से 
नियमानुसार करना चाहिए।नहीं करेंगे तो धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष नहीं मिलेगा।
४.ज्ञानियों ने  सुजीवन जीने के लिए निम्न आचार -व्यवहार का अनुसरण करने के नियम बताये हैं--
         १.ब्रह्म मुहूर्त में उठना, २.दूसरे  दिन के  दान-धर्म कार्यों को सोचना, ३.आय बढाने के कर्म कार्यों पर सोच -विचार करना ,४.माता-पिता का नमस्कार करना  आदि । 
५.धर्म निष्ठावान  गाय, ब्राह्मण,आग,देव,उच्च सिर आदि को स्पर्श न करेंगे ।

६. माँस,चंद्,सूर्य ,कुत्ते आदि देखना वर्जित हैं ।

































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