प्रणाम। वणक्कम !
अष्टमी।
अष्टमी के दिन
कार्य करने पर असफलता गए लगाती है.
न जाने अष्टमी तिथि में
भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।
कृष्ण बने
लोक्रंचक और
लोकरक्षक !
देखा कितने लोग अष्टमी व्रत रख
अपनी मनोकामनाएँ पूरी कर लेते हैं.
आपको मालूम है जिनको
मालूम नहीं उन के लिए
अपनी मनो कामनाएँ पूरी होती हैं ,
भाव बाधाएँ मिट जाती हैं।
अहोई अष्टमी ,
दुर्गाष्टमी ,
शीतला अष्टमी
जन्माष्टमी।
हम भी सनातन परिपाटी अपनाएंगे
देवियों की कृपा पात्र बनेंगे।
******************************
Anandakrishnan Sethuraman
Anandakrishnan Sethuraman प्रणाम।
विषय मुक्त /विधा मुक्त रचनाएँ
आज सरस्वती पूजा शामको और कल।
विद्या की देवी ,वीणावादिनी !
विश्व की प्रगति तेरे अनुग्रह से।
प्रकृति की विजय !
रोग की मुक्ति !
अंतरिक्ष की यात्रा।
आसमान का उड़ान !
आवागमन की तेज़ी।
वातानुकूल सुविधा ,
चाहते तो गरम हवा !
चाहते तो ठण्ड हवा।
आयु की वृद्धि।
हे सरस्वती देवी !तेरी कृपा!
विनम्र प्रार्थना !ज्ञान दो
जगत कल्याण का.
सद्बुद्धि दो ,
जगत में भ्रष्टाचार न हो !
हत्या,आत्महत्या ,काम ,क्रोध ,लोभ
घृणा आदि दुर्भाव न हो।
दान -धर्म ,परोपकार ,सहानुभूति आदि
सद्भावों भरकर मनुष्यता निभाने की
सद्बुद्धि दो !
माँ सरस्वती !आतंकवाद न रहें !
शासकों के दिल से स्वार्थता दूर करो.
दोस्ती बढ़ाने दुश्मनी दूर करने
आत्मसंयम जितेंद्र बनने की दृढ़ ज्ञान दो.
स्वरचित ,स्वचिंतक
यस। अनंतकृष्णन ,तमिलनाडु।
वणक्कम
अष्टमी।
अष्टमी के दिन
कार्य करने पर असफलता गए लगाती है.
न जाने अष्टमी तिथि में
भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।
कृष्ण बने
लोक्रंचक और
लोकरक्षक !
देखा कितने लोग अष्टमी व्रत रख
अपनी मनोकामनाएँ पूरी कर लेते हैं.
आपको मालूम है जिनको
मालूम नहीं उन के लिए
अपनी मनो कामनाएँ पूरी होती हैं ,
भाव बाधाएँ मिट जाती हैं।
अहोई अष्टमी ,
दुर्गाष्टमी ,
शीतला अष्टमी
जन्माष्टमी।
हम भी सनातन परिपाटी अपनाएंगे
देवियों की कृपा पात्र बनेंगे।
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Anandakrishnan Sethuraman
Anandakrishnan Sethuraman प्रणाम।
विषय मुक्त /विधा मुक्त रचनाएँ
आज सरस्वती पूजा शामको और कल।
विद्या की देवी ,वीणावादिनी !
विश्व की प्रगति तेरे अनुग्रह से।
प्रकृति की विजय !
रोग की मुक्ति !
अंतरिक्ष की यात्रा।
आसमान का उड़ान !
आवागमन की तेज़ी।
वातानुकूल सुविधा ,
चाहते तो गरम हवा !
चाहते तो ठण्ड हवा।
आयु की वृद्धि।
हे सरस्वती देवी !तेरी कृपा!
विनम्र प्रार्थना !ज्ञान दो
जगत कल्याण का.
सद्बुद्धि दो ,
जगत में भ्रष्टाचार न हो !
हत्या,आत्महत्या ,काम ,क्रोध ,लोभ
घृणा आदि दुर्भाव न हो।
दान -धर्म ,परोपकार ,सहानुभूति आदि
सद्भावों भरकर मनुष्यता निभाने की
सद्बुद्धि दो !
माँ सरस्वती !आतंकवाद न रहें !
शासकों के दिल से स्वार्थता दूर करो.
दोस्ती बढ़ाने दुश्मनी दूर करने
आत्मसंयम जितेंद्र बनने की दृढ़ ज्ञान दो.
स्वरचित ,स्वचिंतक
यस। अनंतकृष्णन ,तमिलनाडु।
वणक्कम
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