प्रणाम। नमस्ते।
शीर्षक :--शहद यात्रा (हनी ट्रिप )
माया महा ठगनी कहा कबीर ने।
शहद यात्रा ,मीठी यात्रा ,शारीरिक मिलान यात्रा।
अंग्रेज़ी की देन।
जब मेरी शादी हुई ,तब हनीमून कहना अश्लील।
अर्द्धांगिनी के साथ केवल सोने का समय.
फिर न मीठी यात्रा की सोच.
न वातानुकूलित कमरा। न गद्देदार बिस्तर। न पंखा।
आश्चर्य की बात ,एकांत शयन नहीं ,हर साल
जनसंख्या बढ़ने में योगदान।
न आर्थिक सुविधा,घर में कोलाहाल की कमी नहीं।
आजकल शहद यात्रा ,
छत्ता टूट मक्खियों को डंकन
एकांत वातानुकूल कमरा ,
एक दिन का किराया ५०००/-रूपये।
पर न हुआ बच्चा।
शहद यात्रा ,हानि ट्रिप ,
ह के पास खड़ी रेखा।
हनी हानि होगया।
हमारे जमाने का सार्वजानिक बिस्तर ,
रात को ११ बजव ,चार बजे उठना ,
नहाना ,कीर्तन भजन।
संतानलक्ष्मी का उदार अनुग्रह।
उधार हनीमून /शाद यात्रा में
हैं कि नहीं ,पर खिले चेहरे मुक्त नहीं।
स्वरचित ,स्वचिंतक
यस.अनंतकृष्णन।
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