Tuesday, October 1, 2019

खुदखुशी। काशी। तन्हाई

n मैं काशी आया,
बहार नहीं,
बाढ आ गया।
चेन्नै पहुँचा।
कमर भर पानी में
विशालाक्षी के दर्शन।
तिल पांडेश्वर के दर्शन।
वर्षा में भीगकर
गंगा में डुबकियाँ लगाने मेँ.


खुद खुशी

शराबखाने में
तंबाकू खाने मैं
धूम्रपान नें
वेश्यावृत्ति में
वेश्या गमन में
वेदना में
आतंकवादियों के जादू मैं
अनावृष्टि में
कर्जा न चुकाने मैं
प्यार में
क्रांति में
कायरता में
सांसारिक संकटों से बचने
सदा खुद खुसशी रहने
खुदखुशी.
स्वरचित स्व चिंतक
यस.अनंत कृष्णन.


नमस्ते।
शीर्षक :-
चाँद तन्हा रात तन्हा रास्ता तन्हा।
कमरा तन्हा करते प्रबंध
सुहाग रात का।
द्विजनों का प्रथम मिलन।
वंश वृद्धि का मानव प्रबंध।
तन्हाई में पैगाम।
तन्हाई में ईश्वर मिलन।
तन्हाई में तपस्या।
साक्षात्कार अखिलेश से।
वरदान अखिलेश से।
तन्हाई में.ज्ञान ।
तन्हा रास्ता नयी खोज।
अमेरिका की खोज।
अकेले तन्हाई में
नये नये आविष्कार।
तन्हाई का महत्व अद्भुत।
स्वरचित स्वच़िंतक
यस.अनंतकृष्णन

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