Tuesday, October 1, 2019

दादाजी

नमस्कार। प्रणाम।
दादाजी मेरे।
पुत्रों से तिरस्कृत।
अकेले खुद पकाकर खाते।
अंत तक सुदृढ़ रहे।
मरने के चार दिन पहले
अपने पास जो कुछ थे
अपने तीनों पुत्रों
और इकलोती पुत्री में बाँटा।
अचरज की बात थी कि
मरने के दो दिन के पहले ही
सब को बुलाया और कहा ...
भगवान ने बुलाया है,
कल बारह बजे मेरे प्राण पखेरु उड जाएँगे।
और आशीषें दीं।
ठीक ग्यारह बजे
स्वर्ग सिधारे।
चिर स्मरणीय दुख भरी याद है मेरी।
स्वरचित

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