Saturday, October 5, 2019

उपासना -भक्ति -साधना

नमस्ते।
वणक्कम।
राम।राम।
उपासना साधना भक्ति
मार्ग का पहला सोपान है।
वह आंतरिक प्रेरणा का
बाह्य
आडंबर रूप।
जैसे बत्ती जलाना,
धूप, दीप और कर्पूर जलाना।
आराधना सामूहिक भजन,
यशोगान, संगीत आदि।
इन दोनों सोपान
बाह्याडंबर से युक्त है।
मन लगाकर केवल
भगवान के प्रति
ध्यान मग्नता ही साधना है।
मानव मन संसार के प्रति
अनासक्त हो जाता है।
काम,क्रोध,मद,लोभ मन में नहीं बसते।
केवल ईश्वर।ईश्वर के नाम।
लौकिकता के लिए स्थान नहीं।
ब्रह्मानंद में आनंद।
कबीर के अनुसार
लाली मेरे लाल की ,
जित देखो तित लाल।
लाली देखन मैं गयी,
मैं भी हो गयी लाल।
ईश्वर बनने साधना मार्ग
सिद्धार्थ, महावीर, आदी शंकर,
रामानुज, राघवेंद्र ,शीरडी साईबाबा
जैसे ईश्वर तुल्य बनना है।
आश्रम दलाल
पैसे माँगते।
तब भ्रष्टाचार बढता है।
बाह्याडंबर रहित
भक्ति
साधना है।
मन चंगा तो कटौती में गंगा।
स्वरचित।स्वचिंतक।
यस.अनंतकृष्णन।

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