Saturday, October 5, 2019

सुन्दर और असुंदर

प्रणाम।
प्रधान, सहयोगी संपादक और मंच संचालक़ और संयोजक सब को वणक्कम।
नीलाकाश, सूर्य का तेज, श्वेत बादल।
अति सुंदर, सुंदरता खुखा देता है
अवनी तल को।
काले बादल, बिजली की चमक,मेघ गर्जन
चाहिए तभी होगी भूमि हरीभरी।
श्वेत बिंदु लाल रक्त बिन न सृष्टि।
पीले मकरंद बिन न वनस्पति जगत।
पंच तत्वों में वायु निराकार. वर्णहीन।
जीने चाहिए रूप कुरूप निराकार तत्व।
प्रकृति अति सुंदर, अति कुरूप,अति भयंकर।
प्राकृतिक आपदा से बचने
पेड लगाना चाहिए।
धुआँ उडाना नहीं चाहिए।
बाहरी भीतरी सुंदरता,
सफाई पर ही निर्भर।
स्वरचित, स्वच़िंतक।
यस।अनंतकृष्णन।

No comments:

Post a Comment