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Friday, May 16, 2025

धर्म ही एकता का मार्ग

 साहित्य बोध,असम इकाई को

 एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार वणक्कम्।

 विषय --धार्मिक चिंतन में सामाजिक एकता।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

         अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

---------16-5-25.

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संसार में विविधता प्राकृतिक देन।

 ऊँचे ऊँचे पहाड़,

 अनंत सागर,

 असंख्य जीव जंतु,

 विभिन्न गुण, विविध है चाल चलन।

 विविध भाषाएँ।

 आपस में लोग कटते मरते थे।

 तब पैगाम मिला, मुहम्मद नबी को,

 तब एकता  प्रेम का संदेश 

 धर्म ने दिया, सामाजिक एकता का उत्तर।

 भारत में मेरी अपनी मातृभूमि में 

 हज़ारों भाषाएँ,

 विभिन्न जलवायु,

 आसेतु हिमाचल शिवराम।

 सनातन धर्म में 

 विचारों की एकता।

 आज़ादी की लड़ाई में 

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई 

 आपस में है भाई भाई।‌।

 विभिन्न मजहब में एकता के लक्षण।

आदि शंकराचार्य का धर्म-प्रचार,

 बुद्ध का अहिंसा,

 महावीर का जिओ और जीने दो।

 धर्म कर्म चिंतन 

 परोपकार,

 दान धर्म,

 सत्य, अहिंसा अस्तेय।

 पाप पुण्य का पुरस्कार दंड।

 विनयशीलता,

 अमानुषीय शक्ति की सोच।

 अल्पआयु, दीर्घायु, रोग,

 साध्यरोग, असाध्य रोग,,

 धर्म चिंतन न तो

 न एकता,

  धर्म विचार सोचिए,

 काम, क्रोध, मंद लोभ

 जिसमें है वह मूर्ख।

 धर्म विचार में कबीर वाणी।

वसुधैव कुटुंबकम्,

 एक आसमान, एक सूर्य, एक चंद्र

 सारा जग मेरे।

 ये धार्मिक चिंतन न तो

न सामाजिक एकता।।


एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना

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