Wednesday, May 7, 2025

झंडा

 साहित्य बोध बिहारी इकाई को  एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार वणक्कम्।

 विषय --जवाब नहीं तिरंगे का।

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

          अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

 8-5-25.

तिरंगा झंडा हमें जान से प्यारा।

 बीच में नील चक्कर ,

 अनंत आकाश में 

  अनंत सागर पर

 अनंत भूतल पर

 चौबीस घंटे चलते फिरते घूमते 

 अहर्निशम रहने का।

  केसरिया त्याग का

 जन्म भूमि के लिए 

 सर्वस्व त्यागने का,

 ईश्वरत्व पाने का।

श्वेत रंग पवित्र दिल का,

 संधि समझौता शांति का।

हरा रंग समृद्धि का

 कृषी का संपन्नता का।

 जवाब नहीं तिरंगे का और

 नील चक्कर का।

 गतिशील है हम।

 जागते जगाते रहते हैं हम।।

जय जवान जय किसान नारा हमारा।

सदा ऊँचा रहेगा हमारे तिरंगे झंडे।

 विविधता प्रकृति का,पर

 हम में है विचारों की एकता।

जवाब  नहीं तिरंगे का,

 हमारे प्राण से बड़े राष्ट्रीय झंडे का।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।


 


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