नमस्ते वणक्कम्।
पर्यावरण दिवस के संबंध में क्या लिखूँ?
दिन ब दिन
पर्यावरण प्रदूषित है,
हवा,वायु, पृथ्वीथल,
आकाश मात्र प्रदूषित नहीं,
शिक्षा क्षेत्र में भी
भारत में विभिन्न विचार।
शिक्षा में भी एकता नहीं,
नये नये विश्वविद्यालय
नये नये पाठ्यक्रम
अखंड भारत में ,
तमिलनाडु का छात्र,
अचानक उत्तर भारत के
आने पर दूसरे विद्यालय में
भर्ती होने में
बाधक है पाठ्य क्रम
यह भी एक
शैक्षणिक प्रदूषण।
नीट परीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर
उसका भी विरोध
प्रांतीय मोह में ।
नवोदया स्कूल केवल
तमिलनाडु में नहीं
अखंड भारत की बाधा में
स्वार्थ राजनैतिक प्रांतीय मोह प्रदूषण।
चित्रपट समाज भ्रष्टाचार
रिश्वत पर्यावरण दिवस में
विचाराधीन लाना
देश की एकता के लिए
अति आवश्यक है।
चित्रपट के शुरू आत में
न्याय के पक्ष के अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, न्यायाधीश की हत्या,
बदमाश का आनंद
ये पर्यावरण विचार प्रदूषण।
सत्ता के बल पर न्याय का गला घोंटना
न्यायालय प्रदूषण।
वोट का नोट पाकर
वोट देना चुनाव प्रदूषण।
चुनाव में जीतने करोड़ों का खर्च करना,
चुनाव प्रदूषण
चुनाव आयोग की असमर्थता प्रदूषण।
शिक्षा और चिकित्सालय की महँगाई स्वार्थ प्रदूषण।।
तीस रुपये के कमिशन के लिए
तीन साल के बच्चों के सिर पर
आठ हजार की किताबों को मढ़ना पाठ्यक्रम प्रदूषण।
पर्यावरण में
प्राकृतिक प्रदूषण
वैचारिक प्रदूषण
स्वार्थ धन का प्रदूषण
पर्यावरण दिवस पर ध्यान देना है।
चित्रपट की कल्पना
युवकों और नाबालिग के मन में अपराध करने कराने का विषय जहरिले कीड़े।
संक्रामक रोग
पर्यावरण दिवस पर शोचनीय बात।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
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