नमस्ते वणक्कम्।
विषय --संगठन में शक्ति है
विधा --अपनी हिंदी अपने विचार
अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति
4-5-25
बूंद बूंद से सागर बनता है,
बूंद बूंद की सिंचाई बाग को
हरा हरा बनाता है।
संगठन न तो समाज नहीं,
संगठन न तो नगर नहीं,
आर्यिक संगठन नहीं तो
न पारिवारिक उन्नति।
संगठन शक्ति न तो न प्रशासन।
संगठन शक्ति न तो न नागरिक एकता।
संगठन शक्ति न तो न देशोन्नति।
सैनिक संगठन नहीं तो
न देश की सुरक्षा।।
मिल्लत में है ताकत।
स्वर्ण से जो न होगा।
वह संघ और संगठन से होगा।।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना
(स
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