Sunday, May 4, 2025

संगठन शक्ति

 नमस्ते वणक्कम्।

 विषय --संगठन में शक्ति है 

 विधा --अपनी हिंदी अपने विचार 

            अपनी स्वतंत्र शैली भावाभिव्यक्ति 

 4-5-25

  बूंद बूंद से सागर बनता है,

    बूंद बूंद की सिंचाई बाग को

     हरा हरा बनाता है।

     संगठन न तो  समाज नहीं,

     संगठन न तो नगर नहीं,

      आर्यिक संगठन नहीं तो

  न पारिवारिक  उन्नति।

 संगठन शक्ति न तो न‌ प्रशासन।

 संगठन शक्ति न तो न नागरिक एकता।

 संगठन शक्ति न तो न देशोन्नति।

 सैनिक संगठन नहीं तो

 न देश की सुरक्षा।।

मिल्लत में है ताकत।

 स्वर्ण से जो न होगा।

वह संघ और संगठन से होगा।।

 

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना 

 


 

 

 


 


 

     (स

No comments:

Post a Comment