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Friday, April 29, 2016

यादों के विलाप --तिरुक्कुरळ -काम भाग -१२०१ से १२१०

यादों के विलाप - तिरुक्कुरळ - काम भाग - १२०१ से१२१०


१. मधु  तो पीने के बाद ही नशा चढाता  है.सोचते  ही आनंदोल्लास देनेवाला   काम  मधु  से  अधिक  सुखप्रद. है.

२.मुझसे प्रेम करनेवाले प्रेमी के बिछुडने  से भी काम. की इच्छा   यादों की लहरों में  आनंद ही दे रहा  है. 

३. छींक  का  आना  रुक गया है, अर्थात प्रेमी  याद करके भूल गया  होगा. 

४. मेरे  दिल में जैसे प्रेम. की  यादें हैं , वैसे ही उनके  मन. में  मेरी यादें होंगी ही.

५. प्रेमी  उनके  दिल. में  मुझे स्थान नहीं दिया. पर. मेरे दिल में रहने का संकोच उनको  नहीं है क्या ?

६. चंद. दिन. मैं अपने  प्रेमी के साथ मिलजुलकर रह चुकी हूँ. उन दिनों  की  याद. करके  जिंदा  हूँ ,नहीं तो कैसे  जी सकती हूँ .

७. हमेशा याद रखने से  भी  विरह वेदना  बढ. रही  है. भूल जाती तो मेरी  दशा क्या  होगी.
८. मेरे प्रेमी  की याद में रहने  से  वे मुझपर क्रोध नहीं  होंगे.वही मेरे लिए उनकी  मदद. होगी.

९. प्रेमा कहा करते थे  कि दोनों शरीर. से  भिन्न है, पर जान तो दोनों  की  एक. है. पर वे  अब भूल गये,यह. बात मुझे बहुत. दुख. दे  रहा है.


      १०.  प्रेयसी  चंद्रमा से कहती  हैं  कि  मैं अपने बिछुडे प्रेमी  की  तलाश में  हूँ , अतः उनको  देखने  के  लिए ओझल न होना ,प्रकाश देते रहना.


तिरक्कुरळ- काम भाग- एक पक्षीय प्रेम --११९१ से १२००

 तिरुक्कुरळ -काम भाग- एक. पक्षीय  प्रेम-११९१ _--१२००

१. जिससे  प्नेम  हो गया ,  उसका प्रेम मिल गया  तो मतलब है , बीज रहित फल मिल गया.     निर्विघ्न प्रेम  मिल गया.

२.  प्रेमी  का प्रेम   उचित. अवसर. पर.  मिलना,    मौसमी वर्षा के  समान है जो जीने के लिए  अत्यंत आवश्यक. है.


३. प्रेमी सदा साथ रहने  के निश्चित बंधन में  ही  जीवन का बडप्पन है.

४. प्रेमी द्वारा घृणित नायिका  सुकर्म का पात्र नहीं  है.

५. जिससे हम प्रेम करते  हैं ,  वे प्यार. न. करें तो कोई सुख नहीं मिलेगा.

६. एक पक्षीय  प्रेम से कोई सुख न मिलेगा. काबडी के भार के समान दोनों पलडे एक ही होना जरूरी  है.

७. एक पक्षीय प्रेम में काम की पीडा को प्रेमी महसूस नहीं करेगा. प्रेमी का विवर्ण होना समझेगा नहीं'

८. अपने बिछुडे प्रेमी  से प्यार का मधुर शब्द  न प्राप्त नायिका के समान असहनीय दुख झेलनेवाली और कोई नहीं हो  सकती.

९. प्रेमी का प्यार. न. मिलने  पर. भी प्रेमी की प्रसिद्धी और प्रशंसा  के शब्द प्रेमिका को सुखप्रद ही रहेगी .

तिरुक्कुरळ --काम भाग- मुख विवर्ण -११८१ से ११९०

तिरुक्कुरळ --काम--मुख विवर्ण होना- ११८१ -११९०

१. प्रेयसी  कहती  है  कि मैंने अपने प्रेमी को  बिछुडकर. जाने  की अनुमति  दे  दी. उनके जाने  के  बाद. मेरे  विवर्ण. दशा की हालत को किससे  कैसे कहूँ?

२. प्रेयसी  कहती  है  कि मे शरीर. का  पीला पडना प्रेमी का देन. है; इसे मेरे तन गर्व से कह रहा है.

३.मेरे  प्रेमी  मेरी सुंदरता और  लज्जाशीलता  लेकर. काम रोग और विवर्ण देकर चले  गए.

४. मैं अपने प्रेमी के  सद्गुणों के बारे में  ही  सोचता  हूँ और. कहता  फिरता  हूँ.  फिर भी विवर्ण होना ठग है या और  अन्य दुख ?

५. प्रेमिका  कहती  है  कि देखो! मेरे प्रेमी बिछुडकर. चले गये, मेरे रंग पीला पड. गया.

६. जैसे  दीप के बुझते  ही अंधकार आ. जाता  है ,वैसे  ही मेरे प्रेमी के आलिंगन जरा ढीला पडते  ही तन में विवर्णता आ जाती  है.

७. प्रेमी के आलिंगन   से  जरा हटी तो तन में विवर्णता छा गई.

८. लोग तो प्रेयसी के तन  की विवर्णता  के  बारे  में  ही  कहते हैं. कोई नहीं  कहता कि  प्रेमी अकेले छोडकर. चला  गया  है.

९. बिछुडकर गये प्रेमी अच्छी हालत में  ही  है   तो  मेरे तन विवर्ण  ही रहें.  उनका सुख. ही  प्रधान. है.

१०. प्रेमी के ऐसे  अकेले छोड जाने  की निंदा कोई  न. करें तो  ऐसे विवर्ण और. रोगिन होने  की चिंता  मुझे  नहीं है.


Thursday, April 28, 2016

tirukkural - काम - शिकायत -- ११६१से ११८०

तिरुक्कुरळ -- काम --शिकायत-११६१. से ११७०. तक

 १.  जैसे स्त्रोत का पानी निकालते -निकालते  बढता रहता  है ,वैसे  ही जितना काम की इच्छा  रोग   छिपाते है, उतना  बढता ही  रहेगा.


२.  प्यार के  रोग छिपा भी न सका; उसके  कारक  प्रेमी से लज्जा के कारण कह भी न सका.

३. काम के रोग सह न सकी. मेरी जान काबडी बनकर  एक ओर लज्जा और दूसरी  ओर. काम रोग. लटक रहा  है.

४. काम रोग समुद्र के समान गहरा और विस्तार है  , उसे  पार   करने  जल- पोत नहीं मिल रहा  है.

५. मित्रता  में ही  विरह वेदना देनेवाले  प्रेमी ,पता नहीं दुश्मनी  में  कितना दुख. देंगे.

६. प्यार का सुख समुद्र  के  समान. बडा  है.उसका दुख समुद्र से  बडा  है.

६. इश्क के दुख. सागर में तैरकर  भी  उसके  किनारे  देख  न सकी. अर्द्ध रात्री  में  भी अकेली रहती  हूँ.

७. रात का समय दयनीय  है. सब. को सुलाकर अकेला  है  विरह से दुखी मैं  ही  उसका  साथ  दे रही  हूँ.

८. पति  के  बिछुडने  के दुख  से विरह वेदना    के   कारण रात   लंबी  -सी  दीखती  है,  वह विरह. का दुख असहनीय. है.

९. जहाँ प्रेमी रहते  हैं ,वहाँ  मन. तो  जाती  है , पर आँखें  न जा सकती, इसलिए अस्रु बहाती रहती  है.

तिरुक्कुरल - काम भाग -पतिव्रता धर्म - विरह -वेदना.

तिरुक्कुरळ --काम भाग - पतिव्रता धरम - विरह वेदना-११५१ से ११६० तक


१.  पत्नी  पति  से  कहती  है  कि  बिछुडने  की  स्थिति  नहीं  हो तो  मुझसे   कहो.  जाना  ही आवश्यक. है  तो उससे  कहो
और. आग्ञा  लो जो तुम्हारे  वापस. आने  तक जिंदा  रह. सकती  है.

२. पहले पति  के देखने  मात्र. से आनंद. होता था,अब आलिंगन के समय भी डर और दुख  होता  है  कि  उनसे  बिछुडना न पडे.


३. चतुर प्रेमी  के न  बिछुडने  की  बात भी  अविश्वसनीय. है  क्योंकि  बिछुडना तो शाश्वत. सत्य है.

४.  पति  ने  कहा कि  कभी  तुम. को  छोडकर. नहीं  जाऊँगा. पर वचन. तोडकर चले  गये तो  इसमें  मेरी  गल्ती क्या  है?

५. प्रेमी  के बिछुडने  पर. फिर वापस आने क़ी उम्मीद  नहीं  है  तो पहले  ही  सतर्क. रहना  चाहिए. कि वह छोडकर न चलें.

६. प्रेमी  जो पाषाण. दिलवाला  है ,वही  कहेगा कि छोडकर.  चला   जाऊँगा. ऐसे  प्रेमी  से वापस आने का विश्वास  रखना व्यर्थ. है.
७. प्रेमी  के बिछुड. जाने  की  खबर  लोगों को चूडियों की शिथिलता  से मालूम होजाएगी.  अर्थात विरह वेदना  से शरीर दबली हो जाएगा.

८. नाते-रिश्ते रहित शहर में जीना  दुखप्रद है. उससे अति दुखप्रद. बात  है ,
प्रियतम से  बिछुडकर. रहना.

९. आग तो छूने  से   जलाएगा,पर विरह वेदना  बिछुडने  पर अधिक जलाएगी

१०. .पति  के  बिछुडकर   जाने  के  बाद. भी  विरह. वेदना  सहकर जीनेवाले  जग. में
अधिक. होती  हैं. (कमाने या पेशे के  कारण) 

तिरुक्कुरळ- काम- भाग--अफवाहें फैलना. ११४१ से ११५०

 अफवाहें  फैलना --तिरुक्कुरळ-११४१ से११५०

१.अफवाह फैलाने में ही मेरे प्रेम की सफलता  निश्चित हो जाने  की  संभावना  है. इसी  आशा  में मैं  जिंदा  हूँ. अफवाहें फैलानेवाले  यह. बात. नहीं जानते.


२. वह फूल नयनवाली से मेरे संबंध की  जो अफवाहें  हैं, वही  हमारे प्रेम की मदद कर रही  है.

३. हमारे प्रेम की अफवाहें फैलेगी नहीं? वह. किंवदंतियाँ जो  प्रेम न मिलेगी वह  मिलने के संकेत है.

४. अफवाहों  के  कारण. ही  मेरे प्रेम का विकास हो रहा  है.नहीं तो वह. प्रेम लता सूख जाएगी. 

५.  प्रेम की अफवाहों का बढना प्रेम के संबंध को मधुर  बनाता  है जैसे 
मद्यपान के आदी हो  जाते  हैं.

६. प्रेमियों के मिलन सिर्फ एक. ही  दिन है; पर अफवाहें चंद्र को राघु निगालने की कालपनिक कहानी के समान फैलने लगी.

७. प्रेम. को अफवाहें खाद देकर पानी  सींचकर  विकसित करती  है

८. किंवदंतियाँ  फैलाकर  प्रेम भंग. करने  का प्रयत्न  आग बुझाने घी उंडेलने  के  समान. है .

९. जिन्होंने  कसम खाया कि मैं  तुम से  बिछुडूँगा नहीं , वही मुँह फेर लिया तो अफवाहें मझे क्या कर सकती. मुझे तो लज्जा का पात्र बना दिया.मैं तो इन अफवाहों  से शरम नहीं  खाऊँगा.

१०.
लोगों ने ऐसी अफवाहें फैलाई. जिस के प्रति मन में प्रेम है. अब प्रेमी चाहें  तो मेरी मानसिक. इच्छा पूरी होगी. वे मुझसे  विवाह  कर लेंगे.


तिरुक्कुरल - काम शास्त्र भाग-संन्यास की बात करना- १०३१ से १०४० तक


तिरुक्कुरल -काम -- संन्यास. की   बात  करना--११३१ से ११४०

१. प्रेम के कारण दुखी  युवक. को  संन्यास के सिवा और. कोई. मार्ग नहीं  है.

२.
प्रेमी अपनी विरह वेदना सह. नहीं  सकता ; वह. कहता  है  कि मेरे  शरीर. और प्राण तडपने के  कारण  गृह -त्याग   कर दूँगा .इसमें शरम की बात नहीं है.

 ३.  प्रेमी  कहता  है  कि  मुझमें  अति  पौरुष और लज्जाशील. होने  पर. भी  प्रेम के  कारण

प्रेयसी  से   अलग  रहने  से संन्यास ग्रहण करने  तैयार हो गया.

४. प्रेम के बाढ. में  इतनी शक्ति  है  कि  वह  पौरुष 'लज्जा  के  पोत. को बहाकर ले चलता  है.


५. महीन साडियाँ पहनी  मेरी  प्रेयसी  प्रेम. के  साथ  संन्यास के विचार भी दे चली  है.

६. प्रेयसी  के  कारण  मुझे नींद नहीं आती ; अतः अर्द्ध रात्री  में  भी  संन्यास ग्रहण के बारे में सोच रहा  हूँ.

७. बहुत अनंत. काम. रोग. में  तडपकर भी  स्त्री गृह -त्याग. की  बात सोचती  नहीं है. यही नारी जन्म का  बडप्पन. है.

८. नारी दयनीय है, असंयमी है  आदि  बातों  पर ध्यान  न  देकर.
  बिना छिपे प्रकट होना  ही  काम और प्यार है.

९.  मेरे प्रेम. की  बात और किसी को मालूम  न होना चाहिए. इस के डर. से प्ेम गली  में घूम रहा है.

१०.  प्रेम के रोग. से  जो  पीडित. नहीं  है वे ही प्रेमी  को  देखकर  खिल्ली उडाएँगे.