तिरुक्कुरळ --काम--मुख विवर्ण होना- ११८१ -११९०
१. प्रेयसी कहती है कि मैंने अपने प्रेमी को बिछुडकर. जाने की अनुमति दे दी. उनके जाने के बाद. मेरे विवर्ण. दशा की हालत को किससे कैसे कहूँ?
२. प्रेयसी कहती है कि मे शरीर. का पीला पडना प्रेमी का देन. है; इसे मेरे तन गर्व से कह रहा है.
३.मेरे प्रेमी मेरी सुंदरता और लज्जाशीलता लेकर. काम रोग और विवर्ण देकर चले गए.
४. मैं अपने प्रेमी के सद्गुणों के बारे में ही सोचता हूँ और. कहता फिरता हूँ. फिर भी विवर्ण होना ठग है या और अन्य दुख ?
५. प्रेमिका कहती है कि देखो! मेरे प्रेमी बिछुडकर. चले गये, मेरे रंग पीला पड. गया.
६. जैसे दीप के बुझते ही अंधकार आ. जाता है ,वैसे ही मेरे प्रेमी के आलिंगन जरा ढीला पडते ही तन में विवर्णता आ जाती है.
७. प्रेमी के आलिंगन से जरा हटी तो तन में विवर्णता छा गई.
८. लोग तो प्रेयसी के तन की विवर्णता के बारे में ही कहते हैं. कोई नहीं कहता कि प्रेमी अकेले छोडकर. चला गया है.
९. बिछुडकर गये प्रेमी अच्छी हालत में ही है तो मेरे तन विवर्ण ही रहें. उनका सुख. ही प्रधान. है.
१०. प्रेमी के ऐसे अकेले छोड जाने की निंदा कोई न. करें तो ऐसे विवर्ण और. रोगिन होने की चिंता मुझे नहीं है.
१. प्रेयसी कहती है कि मैंने अपने प्रेमी को बिछुडकर. जाने की अनुमति दे दी. उनके जाने के बाद. मेरे विवर्ण. दशा की हालत को किससे कैसे कहूँ?
२. प्रेयसी कहती है कि मे शरीर. का पीला पडना प्रेमी का देन. है; इसे मेरे तन गर्व से कह रहा है.
३.मेरे प्रेमी मेरी सुंदरता और लज्जाशीलता लेकर. काम रोग और विवर्ण देकर चले गए.
४. मैं अपने प्रेमी के सद्गुणों के बारे में ही सोचता हूँ और. कहता फिरता हूँ. फिर भी विवर्ण होना ठग है या और अन्य दुख ?
५. प्रेमिका कहती है कि देखो! मेरे प्रेमी बिछुडकर. चले गये, मेरे रंग पीला पड. गया.
६. जैसे दीप के बुझते ही अंधकार आ. जाता है ,वैसे ही मेरे प्रेमी के आलिंगन जरा ढीला पडते ही तन में विवर्णता आ जाती है.
७. प्रेमी के आलिंगन से जरा हटी तो तन में विवर्णता छा गई.
८. लोग तो प्रेयसी के तन की विवर्णता के बारे में ही कहते हैं. कोई नहीं कहता कि प्रेमी अकेले छोडकर. चला गया है.
९. बिछुडकर गये प्रेमी अच्छी हालत में ही है तो मेरे तन विवर्ण ही रहें. उनका सुख. ही प्रधान. है.
१०. प्रेमी के ऐसे अकेले छोड जाने की निंदा कोई न. करें तो ऐसे विवर्ण और. रोगिन होने की चिंता मुझे नहीं है.
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