Friday, April 8, 2016

अर्थ भाग --राजनीती --देश --७३१ से ७४० ---दुर्ग -शास्त्र . तिरुक्कुरल --तिरुवल्लुवर .

अर्थ  भाग --राजनीती --देश --७३१  से ७४० ---दुर्ग -शास्त्र . तिरुक्कुरल --तिरुवल्लुवर .

१.  अति  समृद्धि ,अनाज -धन धान्य से भरे देश , बड़े सज्जन ,अनावश्यक बाह्याडम्बर  न करनेवाली जनता ,

बुरे  मार्ग पर खर्च न करनेवाले नागरिक ---  ये ही आदर्श देश के लक्षण  है.

२. वही देश  है ,जहां अधिक धन संपत्ति  हो  और भूमि उर्वरा हो  ,
जनता के मन पसंद  धान ,अनाज सब्जियाँ  आदि  अधिक  पैदा  हो .

३.विदेशी  शरणार्थी   के आने पर जो नया बोझ   खर्च करने बढ़ता  है ,
उसको  संभालने  की संपत्ति  जिस  देश  में  हो ,वही देश  है.

४. वही देश  है,  जहाँ लोग भूखे न हो ,असाध्य  रोग  न हो , और नाशक शत्रु  न  हो.

५. वही देश  है जहाँ  के लोग छोटे-छोटे दल में न विभाजित  हो ,
सत्ता के अधिकार लेकर  हत्यारे न हो ,छोटे छोटे नरेश  न  हो.

६. देशों  में श्रेष्ठ  देश  वही  है ,जो शत्रुओं  से विनाश न हुआ हो  और विनाश  होने पर भी फिर उत्थान की संपत्ति  हो.
७. श्रेष्ठ देश  के लक्षण हैं  जीव नदियाँ ,ऊँचे  पहाड़ ,उससे निकलनेवाली नदियाँ ,वर्षा के पानी और
 सुरक्षित  दुर्ग   आदि.

८. सुन्दर देश  के आभूषण पाँच हैं --१.  रोग रहित जनता २. पैदावार ३. संपत्ति ४. सुखी जीवन ५. सुरक्षा   की अच्छी  व्यवस्था.

९.  अपने परिश्रम  और लगातार कोशिश   से  बढ़नेवाले देशों  से  वही देश देश है जहाँ प्राकृतिक उन्नति स्वाभावि हो.

१० .सभी प्रकार की संपत्ति  होने पर भी अच्छी  शासन  व्यवस्था न हो तो उस देश की समृद्धि नष्ट हो  जायेगी.

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