तिरुक्कुरल -काम शास्त्र भाग - प्रेम का महत्व - ११२१. . से११३०
१. मधुर बोली बोलनेवाली मेरी प्रेयसी के दाँतें के बीच टपकनेवाला लार दूध. और शहद के मिश्रण -सा स्वादिष्ट लगता है.
२. मेरी प्रेयसी और मेरा संबंध तन और जान सम है. अलग-अलग नहीं रह. सकता.
३. आँख. की पुतली! मेरी प्रेयसी को आँखों में स्थान देकर तू चली जा.
४. सद्गुण संपन्न मेरी प्रेयसी से मिलने पर प्राण आ जाता है, बिछुडने पर प्राण चले जाते हैं.
५. मेरी प्रेयसी के सद्गुणों को मैं सोचता ही नहीं कयोंकि भूला ही नहीं तो सोचने की जरूरत नहीं है.
६ . मेरे प्रेमी मेरी आँखों में है; कहीं नहीं जाएँगे.
आँखों को बंद करके खोलने पर भी दुखी नहीं होंगे. कयोंकि वे अत्यंत सूक्ष्म हैं.
७. मेरे प्रेमी मेरी आँखों में होने से मैं काजल. भी नहीं लगाता क्योंकि काजल लगाने पर छिप जाएँगे.
८. दिल. में जो प्रेमी है, उनको गर्मी लगेगी इसलिए मैं गरम पेय नहीं पीती.ऐसे डरनेवाले ही सच्चे प्रेमी है.
९. आँखें मारने से मेरे प्रेमी छिप. जाएँगे; इसलिए पलक मारती ही नहीं, इसे जो नहीं समझते
कहते हैं कि वे प्रेमी नहीं है.
१०. प्रेम की दंपति दिल. में ही जी रहे हैं ; पर अलग अलग रहते देख. लोग कहते हैं कि दोनों में प्रेम नहीं है.
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