Thursday, April 7, 2016

ताड़ने / भांपने की दिव्यशक्ति -- ---७०१ से ७१० ---राजनीती --तिरुक्कुरल -अर्थ भाग

ताड़ना / भांपना ---७०१ से ७१० ---राजनीती --तिरुक्कुरल -अर्थ भाग 

१. जब  एक व्यक्ति चुप रहता  है ,तब उसके मन की बात को उसके चेहरे से ही भाँपने वाला 

भविष्य ज्ञाता  सच्चमुच  संसार  का  भूषण होगा. 

२.  एक  मनुष्य के मन की बात ताड़ने  की शक्ति ईश्वर  को है  तो
 वैसी ही शक्तिवाला मनुष्य भी ईश्वर तुल्य ही होगा. 

३. एक  के चेहरे से ही उसके मन की बात ताड़नेवाले  को  अपना सहायक बना लेना चाहिए. 

४. आकार में एक  दीखनेवाले  दो व्यक्तियों के   चुप  रहने  पर  भी   ,उनके मन की बात  भाँपकर
जाननेवाले ,न जाननेवाले दोनों  अलग -अलग होते हैं. 

५.  एक व्यक्ति की आँखें और चेहरे से उनके मन की बात  न ताड़ सकते हैं तो  
न   भांपने  वाली  उन  आँखों  से क्या लाभ.?

६.  जैसे दर्पण चहरे को दिखाता हैं  वैसे  ही एक मनुष्य का चेहरा उसके  मन  की बात प्रकट  कर  देगा.



७. मन की बुरी ,अच्छे और घृणा प्रद बात को    पहले  ही  प्रकट करने की शक्ति
चेहरे जैसे और किसी को नहीं    है.


८. मन की  बात को ताड़ने की शक्ति जिसमें  हैं ,उसके सामने खड़ा होना काफी है. बोलने की ज़रुरत नहीं है.

९. आँखों को देखते  ही भाँप  जायेंगे कि  किसी के मन में बुरे विचार  है या अच्छे .
दृष्टी ताड़ने की शक्ति  का महत्त्व है. 

१०.  सूक्ष्म  बुद्धिवाले   दूसरों के मन की बात जानने के लिए   उनकी  आँखों  को ही मापक बना लेंगे.
*****

No comments:

Post a Comment