Monday, April 25, 2016

गृह कल्याण - गृह-शास्त्र- तिरुक्कुरळ-१०२१ से१०३०

गृह शास्त्र -गृह कल्याण-तिरुक्कुरल-१०२१ से १०३०

१. अपने  कर्तव्य  करने  में  बिना आलसी के जो लगातार प्रयत्न  करता रहता  है , उस बडप्पन से बढकर  कोई और बडप्पन नहीं  है.
२.
२. गहरा ग्ञान ,लगातार कोशिश , अथक परिश्रम  जो करता रहता  है, उनके घरवाले, नाते -रिश्ते सब के सब उन्नति  हो जाएँगे.

३. अपने परिवार और अपने आश्रित रहनेवालों की तरक्की के  लिए. जो  मेहनत. करता  है,
उसको भाग्य और ईश्वरीय शक्ति खुद मदद करने आ जाएगी.

४. जो अपने आशंरितों की प्रगति के लिए. कठोर मेहनत करता  है, बिना विलंब कोशिश करता  है' उसको सफलता अपने आप आ मिल जाएगी.

५.  जो नागरिकों के कलयाणमें कठोर. मेहनत. करता  है, निर्दोषी है, उसको संसार के  लोग रिश्ता  मानकर घेर लेंगे.


६.  एक  पौरुष आदमी  के लक्षण. है , अपनेघर  और देश के सत्ता अपनाने  का व्यक्तित्व .


७. रण क्षेत्र में  जै से वीर निडर  हाोकर   वीरता से लडने  का  दायित्व अपना  बना  लेता  है, वैसे अपने परिवारऔर नानागरि की  प्रगति का भार  है.


८. नागरिकों की प्रगति में लगनेवालों के लिए कोई निश्चित समय. नहीं  है, सदा  काम में लगना  है. आलसी सही नहीं है और देरी भी-

९.  अपने आश्रित लोगों की सुरक्षा और तरक्की के  लिए जो कठोर मेहनत करता  है ,उसके  बारे में लोग कहेंगे  कि  उनका  जन्म दुख झेलने के लिए हुआ है.

१०.जिस परिवार में दुखावस्था  में  जिम्मेदारी उठाने  के चतुर आदमी नहीं  है, वे ऐसे गिरेंगे जैसे  आरे से काटे पेड गिर पडेंगे.





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