Friday, April 29, 2016

स्वप्न दशा - तिरुक्कुरल- काम -१२११_-१२२०



१. जब मैं विरह वेदना  में  तडपकर सो गई , तब पति के दूत बनकर  स्वप्न आया .उस स्वप्न की कृतग्ञ था कैसे पूरी करूँ?

२. मेरे  काजल. लगे  मीन लोचन  सो गये तो स्वप्न में आनेवाले  अपने  पति  से  कहूँगा  कि मैं अब. तक जिंदा हूँ.

३. याद में तो प्रेमी  नहीं  आते. यादें दिन में सताती है. याद से स्वप्न बढिया है, स्वप्न में प्रेमी प्रत्यक्ष आता है. प्रेयसी स्वप्न दशा  में  ही रहना चाहती है.

४. प्रेमी  तो प्रत्यक्ष नहीं आते  हैं. प्रेम दिखाते नहीं है, पर स्वप्न में आते  हैं  तो स्वप्न में ही  दांपत्य सुख मिल जाता  है.

५. प्रेमी  को प्रत्यक्ष देखने  में जो खुशी मिली , वही खुशी स्वप्न में देखते समय मिलती है.

६.  यादें न. आती  तो स्वप्न में देखे प्रेमी को स्वप्न न टूटा  तो  देखती सुखानुभव करता रहता.

७. याद में प्रत्यक्ष न. आकर स्वप्न  में आकर क्यों सताता रहता है ?

८.  नींद में स्वप्न में प्रत्यक्ष आकर प्रेमी ने सुख देकर. कहीं नहीं गये. नींद. के  टूटते  ही  मेरे हृदय. में बस गये. 

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