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Wednesday, April 27, 2016

सुंदरता का बर्छा -- अर्थ भाग - तिरुक्कुरळ-१०८१ से १०९०

  सुंदरता का  बरछा - अर्थ भाग- तिरुक्कुरळ -१०८० से १०९०.

१.
मेरे मन मोहक महिला! तू देवी है; तू  मोर है! मुझे सताने और तपानेवाली है.

२.
मेरी  आँखों   से जब सुंदर महिला  की आँखें आमने -सामने  मिलती  है तब ऐसा  लगता  है 'एक शूल का आक्रमण ही नहीं , एक. बडी  सेना  का आक्रमण हो.

३. यम भगवान. के  बारे  में मैंने  ग्रंथों में ही पढा  है. प्रतयक्ष नहीं देखा  है. अब जान गया  कि महिला की आँखों  की बरछी ही यम भगवान. है.

४. नारीत्व के  कोमल गुणों के विपरीत है चुभनेवाली  नारी की आँखें.

५. नारी कीआँखें  तीन. सवाल उठाती  है : १. क्या वह यम है ? २. क्या  वह दलारने का नाता  है ? क्या वह कातर दृष्टियों से  देखनेवाली हरिणी है?

६. नारी टेढी  भौंहें  सीधी  हो जाएँगी तो मुझे कँपानेवाला भय न. लगेगा.

७.   नारी  के कुचों  के ढके रेशमी   वस्त्र   मदमस्त हाथी के आँख पटी  के समान. है.

८. बढी बडी   सेना  के सामने भी न झुके मेरे बलवान  शरीर  नारी के नयनों के आगे विनम्र  हो जाता  है.

९. कातर नयनों की नारी और  लज्जा शील  नारी  को  इनके सिवा और. कोई आभूषण की  जरूरत नहीं  है.

१०.  मद्यपान करने  से  ही  नशा चढती  है' , लेकिन. नारी  को  देखते  ही नशा  चढ जाती  है.



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