Monday, April 4, 2016

मंत्री --सामंत --अर्थ भाग --राजनीती --६३० --६४०

मंत्री --सामंत --अर्थ भाग --राजनीती --६३० --६४० 

१. वही  मंत्री  है  जो  अपने कर्म  करने के  लिए
 सही औजार रखता हो , .
करने का समय , करने का ढंग  और  कर्म आदि को खूब जनता हो
 और कार्यान्वित करता हो.
२. मंत्री मंडल  वही है ,जिसमें  साहस ,
नागरिक सुरक्षा, धर्म ग्रंथों का ज्ञान ,
कर्मों की जानकारी और प्रयत्नशीलता  आदि पाँचों का अनुकरण  हो. . 
३. एक निपुण  मंत्री  का लक्षण  हैं --शत्रुओं  के सहायकों को तोडना,देश के अच्छे लोगों  की रक्षा करना, शत्रुओं के सहायक जिनको अलग किया गया हैं ,उनमें  से अच्छे लोगों को अपने  पक्ष में जोड़ लेना  आदि. 
४.   निपुण  मंत्री  वह  है ,जो उचित काम चुनकर
 उसको कार्यान्वित करने  में  सफल हो ता है 
 और परिणामों को साहस से कह सकता है .
अपनी रायें प्रकट करने में  साहसी होता  है..
५. सलाह  देने का अधिकारी  वही  है ,
जो धर्म ग्रंथों  का गहरा ज्ञान  रखता हो , 
विनम्र  और ज्ञान भरे शब्द कहनेवाला हो 
और सदा  काम करने तैयार हो. 
६.जिनमें स्वाभाविक ज्ञान हो ,
सूक्ष्म ज्ञान  के  साथ धर्मग्रंथों  का गहरा ज्ञान  हो  ,
उसके  सामने  षड्यंत्र  जो भी हो टिक नहीं  सकता.
७. धर्म -ग्रंथो के ज्ञान होने पर भी 
संसार के व्यवहारिक ज्ञान  की जानकारी भी आवश्यक है ,
उसके अनुकूल  ही कार्य  करना  चाहिए.
८. जिस राजा को ज्ञान नहीं है ,और ज्ञानियों  की बात भी नहीं मानता  उसको भी समझाना एक निपुण मंत्री का  काम  है.
९. गलत   मार्ग दर्शक मंत्री  को  पास रखना 
  सत्तर करोड़ दुश्मन को साथ रखने  के समान है. 
१०. उचित योजना  बनाकर रखने पर भी 
उसे उचित कार्यान्वित  करने  की क्षमता न हो तो
 वह योज़ना  बेकार  ही होगा ; काम पूरा नहीं होगा.

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