व्यर्थ है धन -दौलत -तिरुक्कुरळ - १००१ से १०१० तक ।
१. अति चाह और लोभ से धन दैलत जोडकर बिना खाए ,बिना भोगे पिए मर जाने से उस धन दौलत से कोई लाभ नहीं है।।
२. अपने धन के घमंड से ,दान -धरम न करनेवालों का जन्म
संसार में भार रूप है और हीन और तुच्छ है।
३. बिना यश की चाह के धन जोडने में ही जीनेवाले आदमी संसार का भार रूप है । उससे कोई लाभ नहीं है।
४. दूसरों की मदद न करके जीनेवाले के जीवन में क्या बचेगा? वह सोचता है या न हीं कि कुछ न बचेगा।
५. जो दूसरों की मदद के लिए देने में आनंद का अनुभव नहीं करता ,उसके पास करोडों रुपये होने पर भी कोई लाभ नहीं है।
६. वह धन रोगी है जो धन को खुद नहीं भोगता और जरूरतमंद लोगों को भी नहीं देता।
७. दीन -दुखियों को न देनेवाले की संपत्ती उस सुंदर औरत के समान है, जो बिना विवाह किये ही बूढी हो गयी है।
अर्थात वह संपत्ती बेकार है।
८. धनी , जो दूसरों की मदद नहीं करता और दूसरों के घृणित पात्र बन जाता, उस की संपत्ती नगर के बीच में बढे विष वृक्ष के समान है।
९. जिसमें प्रेम नहीं है, दान _धर्म न करके धन जमा करता है ,उसकी संपत्ती को दूसरे लोग भोगेंगे।
१०. जो दान- धर्म के कारण प्रसिद्ध है , उस की जरा सी गरीबी संसार को भला करनैवाले उस मेघ के समान है जो वर्षा नहीं करता।
१. अति चाह और लोभ से धन दैलत जोडकर बिना खाए ,बिना भोगे पिए मर जाने से उस धन दौलत से कोई लाभ नहीं है।।
२. अपने धन के घमंड से ,दान -धरम न करनेवालों का जन्म
संसार में भार रूप है और हीन और तुच्छ है।
३. बिना यश की चाह के धन जोडने में ही जीनेवाले आदमी संसार का भार रूप है । उससे कोई लाभ नहीं है।
४. दूसरों की मदद न करके जीनेवाले के जीवन में क्या बचेगा? वह सोचता है या न हीं कि कुछ न बचेगा।
५. जो दूसरों की मदद के लिए देने में आनंद का अनुभव नहीं करता ,उसके पास करोडों रुपये होने पर भी कोई लाभ नहीं है।
६. वह धन रोगी है जो धन को खुद नहीं भोगता और जरूरतमंद लोगों को भी नहीं देता।
७. दीन -दुखियों को न देनेवाले की संपत्ती उस सुंदर औरत के समान है, जो बिना विवाह किये ही बूढी हो गयी है।
अर्थात वह संपत्ती बेकार है।
८. धनी , जो दूसरों की मदद नहीं करता और दूसरों के घृणित पात्र बन जाता, उस की संपत्ती नगर के बीच में बढे विष वृक्ष के समान है।
९. जिसमें प्रेम नहीं है, दान _धर्म न करके धन जमा करता है ,उसकी संपत्ती को दूसरे लोग भोगेंगे।
१०. जो दान- धर्म के कारण प्रसिद्ध है , उस की जरा सी गरीबी संसार को भला करनैवाले उस मेघ के समान है जो वर्षा नहीं करता।
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