Wednesday, April 27, 2016

'अधमता -अर्थभाग - तिरुक्कुरळ-१०७१ से१०८०

अधमता -तिरुक्कुरळ -१०७१ से १०८०अर्थ भाग - गृह शास्त्र

१.
अधम भी अच्छेआदमी -सा लगेगा; ऐसी समानता  केवल मनुष्य जाति में ही  है.

२.
समाज  के कल्याण चाहक हमेशा दुखी रहेंगे; अधमों को किसी प्रकार की चिंता नहीं;  वे मान -अपमानकी  परवाह. नहीं   करेंगे.   अधम एक तरह. से भाग्यवान. होते  हैं.

३. अधम देवों के जैसे मनमाना करने  से देव और अधमों को एक समान मान सकते  हैं.

४. नीच लोग अपने से नीचों को देखकर अपने को बडे मानकर घमंडी बन जाएँगे.

५. अधम लोग कुछ. पाने के लिए. अपने को शिष्ट दिखाएँगे; कार्य होने  के  बाद अपनी अधमता प्रकट कर देंगे !

६. गोपनीय बात को अधम लोग दूसरों से कह. देंगे; अत:उनको  ढोल मानना ठीक. ही  है .

७. अधम लोग उन्हींको  देंगे जो उसके  गाल. पर. थप्पड मारते  हैं. वे  बढे कंजूसी होते  हैं.

८. महान लोगों  से माँगते ही हमारी  माँग. पूरी  होगी.  अधम लोगों से ईख की  तरह  कसकर ही कुछ  पा  सकते  है..

९. अधम लोग दूसरों के भोजन और. पोषाक देखकर  जलकर उन पर आरोप लगाएँगे.

१०.  अधम अपने  लाभ और. नष्ट के लिए  दूसरों का गुलाम बनेंगे.  और किसी धंधे  के  लायक नहीं  है. 

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