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Friday, April 22, 2016

तिरुक्कुरल -सुनागरिक - ९५१ से९६० अर्थ भाग -राजनीति

तिरुक्कुरल  सुनागरिक  -९५१ से ९६० तक 
१.तटस्थता और लज्जा उच्चकुल में जन्म लेनेवालों  में ही  सहज में पाया जाएगा।दूसरों में नहीं ।
२. भद्र कुल में जो जन्म लेते हैं, वे कभी अनुशासन,सत्य,मान मर्यादा आदि में दृढ रहेंगे।
विचलित न होंगे।
३. सच्चे उच्च कुल में जन्म लेनेवाले  के चेहरे में खुशी,
दानशीलता,मधुर वचन,पर-निंदा आदि गुण   स्थाई रहेंगे।
४.उच्च कुल में जो जन्म लेते हैं,वे करोडों रुपये देने पर भी अपने कुल कलंक के काम में नहीं लगेंगे।
५.परंपरागत दानी कुल में जो जन्म लेते हैं,काल के फेर से गरीब होने पर भी अपनी दानशीलता न छोडेंगे।
६.जो निर्दोष जीवन बिताना चाहते हैं, वे दगाने के काम में न लगेंगे।
७.उच्चकुल में जन्मे लोग कलंकित काम करेंगे तो चाँद के  कलंक के समान प्रकट हो जाएँगे।
८.किसी एक व्यक्ति के अच्छे गुणों के बीच प्यार न होने पर लोग उसके कुल पर संदेह प्रकट करेंगे।
९.जैसै पैदावर को देखकर खेत की समृद्धी का पता चलेगा ,वैसे ही  किसी व्यकति की वाणी सुनकर उसके जनम के कुल का पता लग जाएगा  कि वह उच्च कुल का है या निम्न गुण का है।
१०. किसी एक व्यक्ति  अपने कल्याण चाहता है तो उसको नम्र व्यवहार करना चाहिए। 

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